सूरत : किसमें कितना है दम? आठ दिसंबर को मतगणना के बाद तस्वीर साफ होगी

सूरत : किसमें कितना है दम? आठ दिसंबर को मतगणना के बाद तस्वीर साफ होगी

सूरत की पांच सीटों पर भाजपा के नाराज नेताओं निष्क्रीय रहे या विरोध में काम किया, इसका पता चलेगा

सूरत के कतारगाम, वराछा, ओलपाड, कामरेज और पुर्व में बीजेपी के कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध में काम करने की शिकायतें आ रही हैं। वोटों की गिनती के बाद पता चलेगा कि किसकी जीत होगी

मतदान के बाद एग्जिट पोल के नतीजे घोषित 


गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न होने के बाद एग्जिट पोल के नतीजे घोषित किए जा रहे हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा के बहुमत से सरकार बनाने का ऐलान करने से राजनीति गरमा गई है। इसके साथ ही चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधि या नेताओं की निष्क्रियता की शिकायतें भी सामने आ रही हैं। चुनाव के दौरान राजनीतिक दल के नेताओं के निष्क्रिय होने या विपक्ष में आंतरिक रूप से काम करने के भी आरोप हैं। हालांकि, यह 8 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि नेताओं की निष्क्रिय रहने या आंतरिक रूप से विरोध करने की नीति कितनी कारगर है। सूरत के पांच विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के कुछ नेताओं की भूमिका पर संदेह है, उनकी ताकत का पता ईवीएम की गिनती के बाद चलेगा।

नाराजगी और बगावत को लेकर पार्टीयां चिंतित


गुजरात विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर बीजेपी-कांग्रेस और आप तीनों पार्टियों में भिड़ंत हो गई थी। टिकट बंटवारे के बाद हर दल के नेताओं में काफी नाराजगी थी, जो मतदान के दौरान भी जारी रही। अनुशासित भाजपा में प्रत्यक्ष बगावत तो नहीं हुई, लेकिन शिकायत सुनने को मिली कि असंतुष्ट नेता और कार्यकर्ता पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे या चुनाव प्रचार और मतदान के बाद भी निष्क्रिय रहे।

पूर्व , वराछा, कतारगाम, कामरेज और ओलपाड में नाराजगी उभरकर सामने आयी


सूरत में सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली वराछा और कतारगाम सीटों पर मतदान के दौरान भाजपा के कुछ नाराज नेता और कार्यकर्ता भी नाराज थे। आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ नेताओं ने विरोधी दल के प्रत्याशियों को पार्टी की जानकारी भी मुहैया करायी है। इसी तरह पूर्व विधानसभा कामरेज और ओलपाड विधानसभा में नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं ने कुछ जगहों पर काफी काम किया, वे निष्क्रिय रहे और कुछ जगहों पर आंतरिक रूप से विरोध का काम किया।

विपक्षी गतिविधियां कितनी प्रभावी रही हैं, यह 8 दिसंबर को पता चलेगा


हालांकि इस तरह की शिकायत सिर्फ बीजेपी ही नहीं कांग्रेस और आप से भी सुनने को मिल रही है। विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और पार्टी के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं की विपक्षी गतिविधियां कितनी प्रभावी रही हैं, यह 8 दिसंबर को पता चलेगा। कांग्रेस में हर चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार बीजेपी में भी ऐसे आरोप लग रहे हैं और छोटे कार्यकर्ताओं के साथ बड़े नेताओं के नाम की भी चर्चा हो रही है। इन नेताओं की ताकत आठ दिसंबर को मतगणना के बाद पता चलेगी।
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