सूरत : गणेश विसर्जन में ढोल-ताशा बजाते दिखे मुस्लिम बैंड

सूरत : गणेश विसर्जन में ढोल-ताशा बजाते दिखे मुस्लिम बैंड

मजदूरी कर बैंड चलाने वाले सदस्यों को गणेशोत्सव के 10 दिनों का काम मिला

महाराष्ट्र के बाद गुजरात देश का दूसरा ऐसा राज्य है जहां गणेशोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और हिंदू मुस्लिम एकता के कई उदाहरण  ध्यान में आते हैं। इस साल गणेश विसर्जन में भी ऐसे कई द्रश्य दिखे हैं। गणेश विसर्जन में हिंदू और महाराष्ट्रीयन बैंड के अलावा खासतौर पर मुस्लिम बैंड भी ढोल-ताशा बजाते नजर आए हैं।

हिंदू मुस्लिम समाज के लोग एक साथ मिलकर धार्मिक त्यौहार मनाते है


अनंत चतुर्दशी के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गणेशजी की मूर्ति की पूजा करने के लिए उमड़ पड़े हैं और नम आंखों से बाप्पा को विदा करते हुए कई भावुक दृश्य भी दिखे हैं। लेकिन बीच में हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक एकता भी देखी गई है। आज के दौर में चाहे जन्माष्टमी हो या ईद, नवरात्रि हो या मोहर्रम, गणेश चतुर्थी हो या रमजान, हिंदू मुस्लिम समुदाय मिलकर धार्मिक त्यौहार मना रहा है। फिर गणेश विसर्जन के समय डीजे या अन्य संगीत प्रणाली के बजाय बैंड बुलाने का चलन भी बढ गया है। 

मुस्लिम समाज के लोग केवल शादी ही नही धार्मिक त्यौहारो में भी बैन्ड बजाते है


गणेश विसर्जन यात्रा में मुस्लिम बैंडों की भागीदारी भी देखी गयी है। मुस्लिम समुदाय के पुराने बैंड जो केवल शादियों में बैंड बजाते थे अब गणेश उत्सवों में भी ढोल बजाते देखे जाते हैं। महत्वपूर्ण कारण यह है कि अब पहले की तुलना में हर गली, मोहल्ले में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है और उसमें भी विशेष रूप से छोटी-छोटी पर्यावरण हितैषी मूर्तियां प्रचलन में हैं।- मोहल्ले में तालाब बनाकर उसमें विसर्जन करने लगे है। गौरतलब है कि विसर्जन के दिन बैंड को 3 से 5 घंटे के लिए 15 हजार से 20 हजार तक का भुगतान किया जाता है।

गणेश उत्सव से छोटे बेन्ड पार्टीओं को मिले अतिरिक्त ओर्डर 


एक बैंड के मैनेजर कादिर शेख ने कहा कि हम 20 साल से बैंड चला रहे हैं। इस साल गणेशोत्सव के कारण हमने एक भी दिन खाली नहीं छोड़ा। बैंड शहर के अलग-अलग इलाकों में गणेश मंडप में बज चुका है। इतना ही नहीं, गणेश विसर्जन के दिन भी हमें आदेश मिले हैं। बैंड का प्रत्येक सदस्य अजीबोगरीब काम करके अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता है। फिर इस साल मिले 10 दिन के ऑर्डर से आमदनी में भी सुधार हुआ है।
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