सूरत : आचार्य श्री महाश्रमण जी का वर्ष 2024 का चातुर्मास सूरत की झोली में

सूरत : आचार्य श्री महाश्रमण जी का वर्ष 2024 का चातुर्मास सूरत की झोली में

सुर्खियों में रहे रतलाम इंदौर व चातुर्मास की लॉटरी खुली सूरत के नाम, सूरत सहित सम्पूर्ण दक्षिण गुजरात मे खुशी व हर्ष की लहर

भविष्य के गर्भ में क्या छिपा हुआ हैं इसकी भनक तक किसी को नहीं लग पाती। पिछले कई वर्षों से विशेष कर गत कुछ महीनों से  तेरापंथ धर्म संघ के एकादश अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के समक्ष देश भर से तेरापंथ धर्म संघ के अनुयायी अपने अपने शहरों कस्बों में गुरुदेव के वर्ष 2024 के चातुर्मास की मांग को लेकर पहुंचते रहें हैं। चातुर्मास का निवेदन करने के क्रम में रतलाम, इंदौर, सूरत, अहमदाबाद, कच्छ-भुज,  औरंगाबाद, जलगांव, जालना, पुणे  आदि अनेक शहरों व नगरों के श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं।


पिछले लंबे समय से ये कयास लगाए जा रहे थे कि चातुर्मास की प्रबल दावेदारी अगर किसी की है तो इसमें रतलाम पहले क्रम पर हैं,  उसके पश्चात अगर और किसी की सशक्त उम्मीदवारी है तो वो है इंदौर की। चार सितंबर की रात्रि को कच्छ-भुज की प्रभावी प्रस्तुति व वहां से अर्ज करने पहुंचे 450 के करीब श्रद्धालुओं की उपस्थिति से कच्छ भुज भी उम्मीदवारी की श्रंखला में खड़ा दिखा। ये उल्लेखनीय है कि गत 14 अगस्त 2022 को जब सूरत से तेरापंथ समाज का एक विशाल संघ चातुर्मास की अर्ज के साथ छापर पहुंचा व वीडियो प्रंजेटेशन के माध्यम से प्रभावी प्रस्तुति दी तो रतलाम-इंदौर के पश्चात सूरत की गणना भी प्रबल दावेदारी के रूप में नजर आने लगी, लेकिन सूरत का आकलन रतलाम इंदौर के पश्चात ही किया जा रहा था। 


हालांकि सूरत महानगर में पूज्य गुरुदेव के चातुर्मास की मांग वैसे तो वर्ष 2012 के जसोल चातुर्मास से ही होती आई है व जहां जहां गुरुदेव के चातुर्मास सम्पन्न हुए हैं वहां वहां सूरत के श्रद्धालु वर्ष 2024 का चातुर्मास सूरत को बख्शाने की विनती की है।  लेकिन प्रबल दावेदारी की श्रंखला में सूरत इस रेस में अलबत्ता इतना अग्रणी व मजबूत दिखाई नही दे रहा था। चूंकि पूज्य गुरुदेव ने पहले ही फरमा रखा था कि वर्ष 2024 का चातुर्मास किस शहर में होगा इसकी घोषणा 5 सितम्बर के दिन प्रातःकालीन प्रवचन में होगी। 
जब 5 सितम्बर का सूर्य उगा तो सभी उम्मीदवारी क्षेत्रों के श्रद्धालुओं की जहां उम्मीदें हिलोरें लेने लगी वहीं उनकी धड़कने भी बढ़ने लगी थी।


सभी के मुख पर एक ही स्वर मुखरित था कि चातुर्मास तो रतलाम या इंदौर होना निश्चित है फिर भी गुरुदेव के मुखारविन्द से ही इस घोषणा का श्रवण किया जाए तो उत्तम है। चहुं और रतलाम-इंदौर की नाम की गूंज सुनाई दे रही थी, सभी सूरत के श्रद्धालु चातुर्मास के प्रति आशान्वित तो अवश्य थे लेकिन वे रतलाम-इंदौर के संभवित वर्ष 2024 के चातुर्मास पश्चात 2025 या 2026 के चातुर्मास की लॉटरी सूरत के नाम खुल सकती हैं ऐसा मान कर चल रहे थे। अतः 5 सितम्बर को सूरत के श्रद्धालु देखो व इंतजार करो की मुद्रा में थे वे अति उत्साह में भी नही थे। चूंकि 5 सितम्बर का दिन शिक्षक दिवस था व तेरापंथ धर्म संघ के 29 वें विकास महोत्सव का आयोजन भी पूज्यप्रवर के सान्निध्य में आयोजित था। 


केंद्रीय मंत्री  अर्जुन मेघवाल की उपस्थिति में आयोजित विकास महोत्सव में हजारों हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ा हुआ था। आचार्य कालू-महाश्रमण समवसरण के विशालतम पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु पूज्य गुरुदेव के श्रीमुख से वर्ष 2024 के चातुर्मास की घोषणा सुनने हेतु आतुर व बेताब थे। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के उद्गार व्यक्त करने के पश्चात मुनि  दिनश कुमार जी ने उद्बोधन हेतु पहले साध्वी वर्या प्रबुद्धयशा जी व उनके पश्चात साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा जी को आमंत्रित किया। जैसे ही युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का उद्बोधन प्रारम्भ हुआ तो श्रावकों की धड़कने बढ़ने लगी, पूज्य गुरुदेव ने सर्वप्रथम विकास महोत्सव के महत्व पर प्रकाश डाला व उसके पश्चात आपने फरमाया की अब में वर्ष 2024 के चातुर्मास की घोषणा कर रहा हूँ, फिर क्या ? विशाल पांडाल में सभी श्रद्धालु पिन ड्रॉप साइलेंट की मुद्रा में आ गए व गुरुदेव के एक एक शब्द पर गौर फरमाने लगे और जैसे ही पूज्य प्रवर ने घोषणा की और फ़रमाया 5-9-2022 को परम् आराध्य भगवान महावीर, परम् श्रद्धेय आचार्य श्री भिक्षु व उत्तरवर्ती आचार्य परम्परा के आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का सश्रद्धा वंदन व स्मरण करते हुए द्रव्य, काल, क्षेत्र भाव की अनुकलता की स्थिति में  वर्ष 2024 व विक्रम संवत 2081 का चातुर्मास सूरत गुजरात में करने के भाव है। 


गुरुदेव की इस महत्वपूर्ण घोषणा से प्रवचन पांडाल में मौजूद सूरत सहित सम्पूर्ण गुजरात के हजारों हजारों श्रावकों के चेहरे खिल उठे व ओम अर्हम तथा गुरुदेव हम आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं के उद्घोष बड़े ही जोशोखरोश से लगने लगे व सूरत के श्रावक श्राविकाएं एक दूसरे को बधाइयां देने लगे तथा अधिकांश श्रद्धालु मोबाइल द्वारा ये खुशखबरी जगह जगह देने लगे। सूरत के श्रद्धालुओं के लिए गुरुदेव द्वारा की गई घोषणा किसी उत्सव व उमंग से कम नही थी। सम्पूर्ण देश मे श्रावक श्राविकाएं आश्चर्यचकित रह गए, क्योंकि गूंज सर्वत्र रतलाम व इंदौर की थी और लॉटरी सूरत के नाम खुल गई। प्रवचन पंडाल में मौजूद तेरापंथ सभा ट्रस्ट के पूर्व मैनेजिंग ट्रस्टी तथा अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा, जैन विश्व भारती से जुड़े श्री चंपक भाई मेहता तथा तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री नरपत कोचर ने पूज्य गुरुदेव के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की व धर्म संघ के कर्मठ कार्यकर्ता व गायक श्री प्रकाश डाकलिया ने मधुर कंठ में गीतिका की प्रस्तुति दी।


गुरुदेव द्वारा वर्ष 2024 में सूरत महानगर में चातुर्मास करने की घोषणा के पीछे अनेक ठोस वजह भी है व चातुर्मास की अर्हता रखने वाले शहरों में सूरत गुरुदेव द्वारा संभवित मानकों पर खरा भी उतरता है। चातुर्मास रूपी लॉटरी सूरत के हाथ लगने के पीछे सूरत में चातुरमासार्थ विराजित मुनि श्री उदित कुमार जी की सराहनीय व प्रेरक भूमिका रही है व सूरत के तेरापंथ समाज मे चेतना का नव संचार करने में मुनि श्री ने अथक प्रयास किया है यही वजह है कि महज 20 दिनों के अंतराल में सूरत के श्रद्धालु पूज्यवर के श्री चरणों में दो बार पहुंचे हैं। व दोनों बार चातुर्मास की पुरजोर मांग की हैं। पूर्व में तो तेरापंथ महासभा के पूर्व अध्यक्ष व समर्पित श्रावक श्री जस करण चोपड़ा ने तथा भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के प्रबन्धक तथा तेरापंथ धर्म संघ के वरिष्ठ श्रावक प्रो डॉ  संजय जैन एवं तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री भारत भूषण जैन ने भी पूज्य प्रवर के सान्निध्य में पहुंच कर वर्ष 2024 के चातुर्मास की विशेष अर्ज की थी।


जब रतलाम की मजबूत दावेदारी थी तब सूरत में उपरोक्त चातुर्मास न मिलने के निम्न कारण भी गिनाए जा रहे थे कि पूज्य गुरुदेव ने सूरत को अक्षय तृतीया जैसा बड़ा आयोजन दिया है तो महज एक वर्ष के अंतराल में चातुर्मास जैसा विराट आयोजन सूरत में कैसे सम्भव है ?  ये सुखद संयोग हैं कि वर्ष 2003 में जब प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का सूरत के सिटीलाइट स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मास हुआ था तो उस चातुर्मास की  पूर्व भूमिका में मंत्री मुनि श्री सुमेर मल जी लाडनू की महती व प्रभावी भूमिका रही थी, गौरतलब है कि उस दौर में मुनि श्री उदित कुमार जी मंत्री मुनि के  सिंघाड़े में सहवर्ती सन्त के रूप में सम्मिलित थे व सूरत में विराजमान थे। यानी सूरत में पूज्यवरों के दोनो चातुर्मासों की घोषणा में मुनि श्री उदित कुमार जी किसी न किसी रूप में प्रेरक बने ही हैं। श्रद्धालु तो यह तक मानते हैं कि चातुर्मास की मांग के मद्देनजर सूरत की प्रबल व मजबूत दावेदारी में मुनि श्री उदित कुमार जी की बहुत ही अहम भूमिका रही है। बहरहाल सूरत में वर्ष 2024 के चातुर्मास की मजबूत दावेदारी के पक्ष में अनेक बिंदु शामिल है जैसे सूरत में 6000 तेरापंथ परिवारों की विशाल आबादी।


सूरत के तेरापंथ समाज के पास चातुर्मास हेतु शहर के बीचोबीच भगवान महावीर महावीर यूनिवर्सिटी का विशालतम प्रांगण व बड़ी प्रोपर्टी। आर्थिक रूप से सम्पन्न, सुदृढ़ व समर्पित श्रद्धावान श्रावक समुदाय। युवकों की विशाल परिषद। शहर में सूरत, उधना, पर्वत पाटिया, वराछा, लिम्बायत में तेरापंथ सभाएं , युवक परिषदें, महिला मंडल आदि संगठनों का विशाल नेटवर्क व भवन, सूरत के समीपवर्ती कामरेज, चलथान, सचिन, कड़ोदरा आदि में सक्रिय तेरापंथ सभाएं, परिषदें व महिला मंडल आदि संगठनों का विशाल नेटवर्क। मुम्बई, अहमदाबाद जैसे महानगर महज साढ़े तीन से चार घन्टे की दूरी पर। रतलाम, उज्जैन, इंदौर, पुणे आदि शहर मात्र 5 से 8 घन्टे की दूरी पर। ट्रेन व एयर की अद्वितीय कनेक्टिविटी। बस, टेक्सी की भरमार। शहर में 110 से ज्यादा फ्लाईओवर, सड़कों का जाल सा बिछा हुआ। सूरत शहर की अद्वितीय व सहज सुलभ ट्रेफिक सुविधा। सूरत में एक छोर से दूसरे छोर तक अधिकतम आधे घन्टे में पहुंचा व आया जाता हैं। विश्व प्रसिद्ध डायमंड सिटी व सिल्क सिटी के रूप में मशहूर शहर। सुलभ आवासीय व्यवस्था। इसके अलावा सिवांची मालाणी जो दीक्षा व वैराग्य की उर्वरा भूमि जहां के सैकड़ों तेरापंथी परिवार सूरत में निवासरत हैं। पूरा मेवाड़ व थली, कच्छ, वाव , हरियाणा आदि के हजारों तेरापंथी परिवार सूरत को कर्मभूमि के रूप में अपनाए हुए हैं। ऐसी अगिनित ठोस व दमदार वजहें है जो चातुर्मास की घोषणा में निमित बन पाई। निश्चित रूप से सूरत ही नही बल्कि सम्पूर्ण दक्षिण गुजरात का तेरापंथ समाज पूज्यप्रवर द्वारा चातुर्मास रूपी बख्शिश बक्शसाने हेतु ऋणी रहेगा।   


साभार-गणपत भन्साली
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