सूरत : बुजुर्ग खस्ताहाल ऑटो में बिता रहे थे लाचारी भरा जीवन, जानिये कैसे पहुंचाए गये वृद्धाश्रम

सूरत : बुजुर्ग खस्ताहाल ऑटो में बिता रहे थे लाचारी भरा जीवन, जानिये कैसे पहुंचाए गये वृद्धाश्रम

समाजसेवियों द्वारा हरेशभाई का इलाज कर अनिलभाई द्वारा चलाए जा रहे डिंडोली वृद्धाश्रम में भेजा गया

आमतौर पर लोग रिक्शा में सफर करते हैं। लेकिन सूरत में एक बूढ़े के लिए टूटा रिक्शा रहने का ठिकाना बना हुआ है। 65 वर्षीय हरेशभाई जहांगीरपुरा थाने के सामने पिछले दो-तीन महीने से भंगार पड़े रिक्शा में रह रहे थे। उम्र की वजह से उन्हें काम से निकाल दिए जाने के बाद परिवार में भी कोई नहीं होने से उनकी हालत ऐसी हो गई थी। 

कोरोना में उम्र के कारण चला गया काम, परिवार में भी कोई नहीं, खाने को भी कुछ नहीं

ऐसा कहा जाता है कि लोग किसी व्यक्ति का तभी तक साथ देते हैं, जब तक वह चल और कमा सकता है। चाहे वह घर के अंदर हो या बाहर। जब कोई आदमी बूढ़ा हो जाता है और काम नहीं कर सकता, तो उसे बेकार समझकर बाहर निकाल दिया जाता है। ऐसा ही 65 साल के हरेशभाई के साथ भी हुआ है। समाजसेवी धर्मेश गामी ने बताया कि कुछ दिन पहले दोस्त पवन शर्मा ने फोन कर जानकारी दी कि जहांगीपुरा थाने के सामने तीन माह से एक जीर्ण-शीर्ण रिक्शे में एक वृद्ध रह रहा है। मौके पर जाकर चेकिंग करने के बाद स्थिति देख वह अवाक रह गया। वृद्धावस्था के कारण चाचा की तबीयत नाजुक हो गई थी। महीनों से नहाया नहीं था।
हरेशभाई थाने के पास एक बंगले में काम करता था। बाद में, बंगले के मालिक की मृत्यु हो गई और हरेशभाई को वृद्ध होने के कारण काम से निकाल दिया गया। साथ ही परिवार में कोई नहीं होने से यह टूटा रिक्शा उनका घर बन गया। काम नहीं होने से जो भी आसपास के लोग खाने को दे रहे थे उसी में उसका गुजारा हो रहा था। हरेशभाई को एंबुलेंस से इलाज कर अनिलभाई द्वारा चलाए जा रहे डिंडोली वृद्धाश्रम में भेजा गया। यहां वे अच्छे से रह रहे हैं।
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