
सूरत : गणेश चतुर्थी के करीब आने के साथ ही लोगों में उत्साह पर बारिश के कारण सूख नहीं रहे भगवान, अलग-अलग तरकीबों से सुखाई जा रही हैं मूर्तियाँ
By Loktej
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अब जब स्थापना में लगभग एक सप्ताह का समय बचा है तो मूर्तिकार लगातार हो रहे बरसात के बीच गैस कटर और ड्रायर से सूखा रहे हैं मूर्तियाँ
कोरोना के कारण बीते दो साल राज्य भर के लोग अपनी पूरी ऊर्जा और परंपरा के अनुसार गणेश पूजा का उत्सव नहीं मना पाए। पर अब कोरोना का प्रभाव कम हो गया है तो इस साल लोग इस त्यौहार को लेकर बहुत उत्साहित है। दस दिवसीय गणपति उत्सव लगभग एक सप्ताह बाद 31 अगस्त से मनाया जाएगा। सूरत में जहां गणेश मंडल की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं वहीं मूर्ति कलाकारों को भी अच्छी खासी मूर्ति विक्री की आशा है पर लगतार हो रहे बरसात के कारण इन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल गणेशोत्सवम से पहले केवल कुछ दिनों के लिए, बारिश के कारण आर्द्र वातावरण में मूर्तियों को सुखाना मुश्किल हो रहा है। इसके लिए मूर्तिकार ड्रायर, गैस कटर का उपयोग कर रहे हैं।
बारिश के मौसम के कारण फिनिशिंग और कलरिंग, डेकोरेशन का काम ठप
आपको बता दें कि रुद्रपुरा के पंडाल में पिछले चार-पांच महीने से गजपति मूर्ति बना रहे बंगाली शिल्पकार संजय शिल्पकार ने कहा कि प्लास्टर ऑफ पेरिस पर प्रतिबंध लगने के बाद से सूरत शहर में ज्यादातर गणपति मूर्तियाँ यहां बन रही हैं। मूर्ति बनाने की प्रक्रिया में जब तक इन मूर्तियों को पूरा बनाकर इनपर रंग-रोगन किया जा रहा है तब तक मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है। एक सप्ताह से अधिक समय तक लगातार बारिश जारी रही। इसलिए मूर्तियाँ सूख नहीं सकीं। इसके चलते लगभग सभी पंडालों में फिनिशिंग और कलरिंग, डेकोरेशन का काम ठप हो गया है। मूर्तिकार ने आगे बताया कि ‘हमने फूल पंडाल में गीले गणपति के फूलों को सुखाने और उन्हें पेंटिंग और सजावट के लिए तैयार करने का एक अलग तरीका खोजा है। हम गैस कटर और एयर ड्रायर की मदद ले रहे हैं। चूंकि गणपति स्थापना का दिन दूर नहीं है, इसलिए तैयार किए गए मूर्तियों को पूरा करना आवश्यक हो गया है। ताकि इसे सजाया जा सके और आयोजकों को दिया जा सके। अधिकांश पंडालों में कच्चे रूप में प्रसंस्कृत गणपति मोतियों में से 50% को गैस कटर, एयर ड्रायर आदि द्वारा डीह्यूमिडाइज किया जा रहा है यानी सुखाया जा रहा है।
सूरत में 50 हजार से अधिक गणेश मूर्तियों की होगी स्थापना
कोरोना के दो साल के लिए छोटे पैमाने पर गणपति उत्सव का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बार शहर जिस तरह से 31 अगस्त से शुरू होने वाले दस दिवसीय गणपति उत्सव की तैयारी कर रहा है, ऐसे में आशा है कि सूरत में और उसके आसपास लगभग 50,000 मूर्तियां स्थापित होने की संभावना है।
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