
सूरत : तापी नदी व तटीय क्षेत्र में 19 स्थलों पर मिले मगरमच्छ के साक्ष्य
By Loktej
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शहर और आसपास के इलाकों में मगरमच्छों के देखे जाने के कई मामले समाने आए है
नगर निकाय ने वन विभाग के साथ किया सर्वे
सूरत में पिछले कुछ वर्षों में शहर और आसपास के इलाकों से मगरमच्छों के देखे जाने के कई मामले सामने आए हैं। इसको लेकर नगर संगठन ने वन विभाग के साथ मिलकर सर्वे किया था। जिसमें मगरमच्छ आबादी वाले क्षेत्रों में 10 स्थलों पर मगरमच्छ पाए गए और 9 स्थलों पर मगरमच्छों के प्रमाण मिले।
कुछ समय पहले चौक क्षेत्र में एक मगरमच्छ के देखे जाने का एक वीडियो वायरल हुआ था और इससे पहले के जानकारों ने भी कहा था कि तापी नदी में मगरमच्छों का प्रजनन हो रहा है। इस संबंध में, नेचर क्लब सूरत ने भारतीय वन विभाग के वन्यजीव ट्रस्ट के सहयोग से सूरत शहर में मानव-मगरमच्छ संघर्ष की स्थिति को समझने के लिए 2020 में एक परियोजना की। जिसमें कुल 19 स्थलों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संकेतों के आधार पर मगरमच्छ की मौजूदगी के प्रमाण मिले हैं। जिसमें 10 जगहों पर मगरमच्छ देखे गए। जबकि 9 स्थल देखे गए जहां मगरमच्छों के साक्ष्य मिले। इन स्थलों पर पाए जाने वाले मगरमच्छों में 3 वयस्क मगरमच्छ यानी 1.5 मीटर लंबाई, 2 उप-वयस्क यानी 1 से 1.5 मीटर लंबाई और 5 बिना आकार के मगरमच्छ हैं। पाल, कॉजवे, अमरोली, पर्वत गांव, पुना गांव, जहांगीरपुरा, वरियाव आदि मगरमच्छ आबादी वाले क्षेत्र हैं।
परियोजना की खोज पर हाल ही में एक वैज्ञानिक पत्रिका में एक शोध पत्र भी प्रकाशित किया गया था। परियोजना प्रभारी कुणाल त्रिवेदी ने कहा, "हमारे शोध के अनुसार, 2005 से 2020 के बीच सूरत में समय के साथ मानव-मगरमच्छ संघर्ष बढ़ा है। हालांकि, मनुष्यों के साथ कोई घातक संघर्ष नहीं देखा गया है। मगरमच्छों के देखे जाने के ज्यादातर मामले मानसून के मौसम यानी जुलाई-अक्टूबर और गर्मी के मौसम यानी मार्च-जून में सामने आते हैं। जबकि सर्दी के मौसम में मगरमच्छ के देखे जाने की कोई विशेष घटना नहीं होती है। मनुष्यों और मगरमच्छों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है क्योंकि उनका निवास स्थान सिकुड़ रहा है और मगरमच्छों की आबादी बढ़ रही है। हालांकि, इस क्षेत्र में किसी बड़े मानव-मगरमच्छ संघर्ष की सूचना नहीं मिली है। हालांकि मगरमच्छों के हमले जैसे किसी भी टकराव से बचने के लिए स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
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