सूरत : जिले में पंजीकृत 5.17 लाख मवेशियों के सामने सिर्फ 6 पशु चिकित्सक, कैसे होगा टीकाकरण

सूरत :  जिले में पंजीकृत  5.17 लाख मवेशियों के सामने सिर्फ 6 पशु चिकित्सक, कैसे होगा टीकाकरण

उप पशुपालन अधिकारी का पद पांच साल से अधिक समय से खाली है, पशुपालन निरीक्षक के 25 स्वीकृत पदों में से 12 पद रिक्त हैं

प्रति 10 गांव  या 10 हजार मवेशी पर एक पशु निरिक्षक होना चाहिएः दर्शन नायक
लंपी वायरस की महामारी राज्य में कहर बरपा रही है। सरकार ने युद्धस्तर पर टीकाकरण करने के आदेश दिए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि सूरत जिले में पंजीकृत 5.17 लाख पशुओं में सिर्फ 6 पशुचिकित्सक और पशुधन निरीक्षक के 12 पद भरे हुए हैं।  इसके अलावा उप पशुपालन अधिकारी का पद वर्षों से रिक्त है और सरकार पर्याप्त रूप से पद नहीं भर रही है। जब जिला पंचायत के अनुसार 14,500 पशुओं का टीकाकरण किया गया है, तो 5,17 लाख पशुओं का टीकाकरण कब होगा, एक बड़ा सवाल उठाया जा रहा है।
सूरत जिला पंचायत के पशुपालन विभाग के अनुसार 5.17 लाख से अधिक पशु केवल गाय के रूप में पंजीकृत हैं। जिला पंचायत के पशुपालन विभाग में उप पशुपालन अधिकारी का पद वर्षों से रिक्त है अन्त में इस्माइल पटेल नियमित अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा किसी भी नियमित अधिकारी की नियुक्ति नहीं की गयी है। सूरत जिले में 17 स्वीकृत पशु चिकित्सकों के सामने भरे गए निरीक्षक के मात्र 6 पद है । पशुनिरिक्षक के 25 स्वीकृत महकम के सामने 12 में से आधे पद खाली हैं, जिससे पशुपालकों को अंदरूनी गांवों में पशुओं के इलाज में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
प्राप्त विवरण के अनुसार सूरत जिला पंचायत में पशुपालन विभाग के ज्यादातर पद खाली है, जिले के नौ तालुकों के क्षेत्र के संदर्भ में दूरदराज के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक अपने पशुओं को इलाज के लिए अस्पताल नहीं ला सकते हैं।
किसान नेता एवं सहकारिता नेता दर्शन नायक ने राज्य सरकार से कहा कि डेयरी उद्योग के विकास से जिले में पशुपालन की गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में पशुपालन में दुग्ध उत्पादन के प्रति जागरूकता बढ़ी है, ऐसी स्थिति में मूलभूत सुविधाएं जैसे क्षेत्र स्तर पर पशु स्वास्थ्य टीकाकरण, निष्कासन, पशु प्रजनन और विभिन्न नियोजित गतिविधियों को गरीब से गरीब  अंतिम छोड के चरवाहों को लाभान्वित करना जरूरी है।
 सूरत जिले में रिक्तियों के बारे में बात करते हुए दर्शन नायक ने कहा कि उप पशुपालन अधिकारी का मुख्य पद लंबे समय से खाली पड़ा है जिस पर नियुक्ती करने की प्रशासन द्वार तस्दी नही ली जाती । राज्य सरकार का रवैया उदासीन रहा, इसके अलावा पशुधन निरीक्षक और पशु चिकित्सा अधिकारी के पदों को भरने की स्वीकृति भी समय - समय पर महासभा में उठाई गई । एक तरफ राज्य में लम्पी वायरस नाम की गंभीर बीमारी दूसरे जिलों में मासूम जानवरों को अपना शिकार बना रही है। जिले में पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण पता चलता है कि पशुओं के टीकाकरण में बड़ी समस्या है। यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार द्वारा आवंटित की जाने वाली वैक्सीन की खुराक कब आएगी और कब तक टीकाकरण किया जायेगा। एक सहकारी संगठन की मदद से वैक्सीन की खुराक मंगाकर धीमी गती से कार्य किया जा रहा है। विकास की बात करने वाली वर्तमान सरकार सूरत जिले में महकमा और रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ती करे ऐसी मांग की गयी। 
सहकारिता एवं किसान नेता, पूर्व विपक्षी नेता जिला पंचायत सूरत, महामंत्री गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी दर्शन नायक ने कहा कि शासन के नियमानुसार प्रत्येक 10 ग्राम या 10 हजार पशुओं पर एक निरीक्षक होना चाहिए। इस गणना के अनुसार सूरत जिले में केवल 5.17 लाख पंजीकृत गायें हैं। इसके अलावा भेड़, बकरी सहित अन्य प्रजातियों के पशुओं की संख्या, ऊंट आदि अलग-अलग हैं और कई कितने पशु पंजीकृत नहीं हैं। जबकि सूरत जिले में कम से कम 60 से अधिक पशु चिकित्सा सर्जन होने चाहिए, सूरत जिले में स्वीकृत महकमें की तुलना में अधिक रिक्तियां हैं।

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