
सूरत : नोन क्रिमिलियर प्रमाणपत्र के लिए माता-पिता और छात्रों को पड रही मुश्किले
By Loktej
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सर्टिफिकेट लेने के लिए लोगों की तडके से ही लग जाती है लाइन
लोगों की परेशानी दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं
सूरत शहर में जिस तरह से आबादी का बोझ बढ़ा है, उसके खिलाफ प्रशासन को जो सुविधा देनी चाहिए, वह अब तक सामने नहीं आ रही है। वर्षों से, लोगों को जाती का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। सोमवार सूबह से ही पुराने बहुमंजिला बिल्डिंग स्थित समाज कल्याण अधिकारी के कार्यालय में लंबी कतार देखने को मिली। यहां ज्यादातर लोग सुबह से ही लाइन में खड़े हैं। छात्र प्रवेश के दौरान नोन क्रिमिलियर प्रमाण पत्र बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऐसी स्थिति हमेशा छात्रों के साथ बनी रहती है। लाइन में खड़े लोगों को पता चला कि एक व्यक्ति को इस प्रक्रिया को पूरा करने में करीब 3 घंटे का समय लगता है।
लोग घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं। ऑनलाइन सर्टिफिकेशन की कहानी भी हकीकत से अलग है। सरकार की ओर से सब कुछ ऑनलाइन करने की बात हो रही है। सरकार छात्रों और अभिभावकों को आसानी से सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने की प्रक्रिया की बात कर पीठ थपथपाती रहती है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। हर साल इस तरह से छात्रों और अभिभावकों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है। सामान्य दिनों में भी समाज कल्याण विभाग के बाहर छात्र घंटों इसी तरह खड़े नजर आते हैं। जिले के दुर दराज के गांव से आने वाले बच्चों के लिए अभिभावकों को पूरा दिन यहीं गुजारना पड़ता है। नतीजतन, लोगों को समय बीतने के साथ वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है। नोन क्रिमिलियर प्रमाणपत्र जारी करने पर लोगों को प्रताडि़त करना
उधना क्षेत्र से नोन क्रिमिलियर प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आए दर्जी हिमांशु ने कहा, मैं यहां सुबह 8.30 बजे लाइन में खड़ा था। लगभग 10.30 बजे के बाद कार्यालय शुरू हुआ। इससे पहले हमारे पास 40 से 50 लोग लाइन में खड़े थे और फिर अन्य छात्र और माता-पिता भी नोन क्रिमिलियर प्रमाण पत्र लेने के लिए यहां आए। लाइन इतनी लंबी थी की कार्यालय के बाहर रास्ते पर खडे होकर लोग लाईन में लगने को मजबुर है। कम से कम तीन से चार घंटे खड़े रहने के बाद ही प्रक्रिया पूरी होती है। यहां तक कि क्रिमिलियर सर्टिफिकेट भी एक बार में काम नहीं आता। हर साल सरकार नया प्रमाणपत्र मांगती है। सरकार यह भी जानती है कि नोन क्रिमिलियर प्रमाणपत्र पाने के लिए लोगों को इस तरह की कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है लेकिन सरकार सिर्फ बात कर रही है। सही मायने में आम लोगों की तकलीफों को दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई जाती है।
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