सूरत : रफ हीरे की कमी का डर, रूसी संघ ने किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना से हटाने की मांग की

सूरत : रफ हीरे की कमी का डर,  रूसी संघ ने किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना से हटाने की मांग की

युद्ध के कारण रूस पर और प्रतिबंध लगे तो सूरत के हीरा उद्योग पर भी असर पड़ेगा , सूरत और मुंबई हीरा उद्योग से जुडे सभी की निगाहें बोत्सवाना में 20 जून से होने वाली चार दिवसीय केपी अंतरराष्ट्रीय बैठक पर टिकी हैं।

सिविल सोसायटी गठबंधन द्वारा रूस के खिलाफ कार्रवाई की मांग
दुनिया के सबसे बड़े डायमंड कटिंग एंड पॉलिशिंग सेंटर सूरत में हीरा देने वालों को रफ डायमंड्स की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है। सिविल सोसाइटी गठबंधन ने अनुरोध किया है कि रूसी संघ को किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना में एक भागीदार के रूप में हटा दिया जाए। सूरत और मुंबई हीरा उद्योग से जुडे सभी की निगाहें बोत्सवाना में 20 जून से होने वाली चार दिवसीय केपी अंतरराष्ट्रीय बैठक पर टिकी हैं। सिविल सोसाइटी गठबंधन रूसी आक्रमण के साथ व्यापक या प्रणालीगत हिंसा से जुड़े हीरे की परिभाषा का विस्तार करने की मांग कर रहा है।
उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि यदि रूसी संघ को केपी योजना से बाहर रखा जाता है, तो रूसी राज्य खनन कंपनी अलरोज़ा द्वारा बेचे जाने वाले कच्चे हीरों पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। भारत अलरोजा से हीरे का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हर साल 1 अरब से अधिक मूल्य के हीरे रूस से सीधे मुंबई और सूरत को निर्यात किए जाते हैं। जबकि करीब 3.5 अरब दुबई और एंटवर्प के जरिए आते हैं।  डी बीयर्स के बाद अलरोसा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी हीरा खनन कंपनी है। केपी से रूस के निलंबन का मतलब होगा कि भारत अलरोज़ा से हीरे का आयात नहीं कर पाएगा, जिससे सूरत और गुजरात के अन्य छोटे केंद्रों में सैकड़ों छोटी और मध्यम हीरा कंपनियों को परेशानी होगी।
अमेरिका में आभूषण कंपनियों और हीरा व्यापारियों ने रूस के यूक्रेन पर आक्रमण और मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन के लिए एकतरफा रूसी हीरे खरीदना बंद कर दिया है। आभूषण कंपनियों ने अपने आपूर्तिकर्ताओं, विशेष रूप से भारत में, से कहा है कि अगर वे अलरोसा से हीरे की आपूर्ति करते हैं तो उनके साथ सौदा न करें। सूरत में एक हीरा कंपनी के मालिक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, अगर बोत्सवाना में केपी इंटरनेशनल की बैठक में रूसी संघ द्वारा केपीसीएस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया जाता है, तो सूरत में पूरे हीरा उद्योग को नुकसान होगा। विनिर्माण इकाइयों में कच्चे हीरों की भारी कमी और कीमतें आसमान छू सकती हैं।
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