सूरत : कोरोना की दस्तक के बीच स्कूल शुरू, अभिभावकों का निर्देश - सर्दी-खांसी होने पर बच्चों को स्कूल न भेजें!

सूरत  : कोरोना की दस्तक के बीच स्कूल शुरू, अभिभावकों का निर्देश - सर्दी-खांसी होने पर बच्चों को स्कूल न भेजें!

बच्चों के चेहरों पर भी मुस्कान झलक रही थी, छात्रों को खुशी के साथ स्कूल में भर्ती कराया गया, बच्चों को स्कूल छोड़ने पहुंचे अभिभावक

बच्चों की सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार की सुरक्षा एवं स्वच्छता की कमी नहीं रखी जाएगी
कोरोना की चौथी लहर के बीच ग्रीष्म सत्र समाप्त होने के साथ ही सूरत में आज से स्कूल शुरू हो गए हैं। बच्चे  सुबह में ही स्कूल पहुंचे। स्कूल संचालकों व शिक्षकों ने भी 90 प्रतिशत उपस्थिति के साथ पहुंचे विद्यार्थियों के स्वागत को लेकर उत्साह देखा गया। सभी बच्चों को हर्षोल्लास के साथ स्कूल में दाखिल कराया गया। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान भी साफ झलक रही थी। लंबे समय तक घर में रहने के बाद गर्मी की छुट्टियां खत्म होते ही बच्चे किताबें लेकर स्कूल पहुंचे। हालांकि स्कूलों की ओर से अभिभावकों को निर्देश दिया गया है कि सर्दी, खांसी या बुखार होने पर अपने बच्चों को स्कूल न भेजें।
कोरोना संक्रमण के पहले, दूसरे, तीसरे और अब चौथे चरण की भविष्यवाणियां सामने आ रही हैं। उस समय कोराना संक्रमण का स्वाभाविक खतरा था लेकिन छात्रों का स्कूल आने का उत्साह और माता-पिता भी उत्साह से बच्चों को छोड़ने के लिए स्कूल पहुंचे। शहर के सभी स्कूलों में आज बच्चों की 90 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति रही।
एक स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि सूरत शहर में पिछले दस-पंद्रह दिनों से कोरोना पॉजिटिव के मामले बढ़ रहे हैं। कोराना  के पॉजिटिव केस अब डबल डिजिट में पाए गए हैं। हालांकि हम बच्चों की सुरक्षा में किसी भी तरह की  कमी नहीं रखते हैं। बच्चों के स्कूल आने से पहले पूरी तरह से साफ-सफाई की तैयारी की गई थी। पानी की टंकियों से लेकर हर चीज को ध्यान में रखते हुए स्वच्छता एक प्राथमिकता थी। अभिभावकों को पहले से ही निर्देश दिया गया है कि सर्दी, खांसी या बुखार होने पर अपने बच्चों को स्कूल न भेजें।
एक स्कूल की प्रिंसिपल ने कहा, "हम भी स्कूल के छात्रों के लिए बहुत उत्सुक हैं।" ऐसा लगता है कि शिक्षक भी बच्चों को याद करके पढ़ाने में गहरी रुचि रखते हैं। कोरोना काल में भी हमने बच्चों पर कड़ी नजर रखी ताकि उन्हें किसी प्रकार का नुकसान न हो। इस समय हालांकि कोरोना के मामलों की संख्या कम है, हमें बच्चों की भलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी और जितना हो सके कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। ताकि बच्चों को कोई परेशानी न हो।
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