सूरत : नदी लिंक परियोजना पर विवाद, सरकार श्वेत पत्र जारी नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगाः कांग्रेस

सूरत : नदी लिंक परियोजना पर विवाद, सरकार श्वेत पत्र जारी नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगाः कांग्रेस

इस परियोजना को लोकसभा और राज्यसभा में मंजूरी दी है अगर इस प्रोजेक्ट को रद्द करना है तो इसे लोकसभा और राज्यसभा में वापस लाकर फैसला लेना होगा

सरकार द्वारा तापी-पार परियोजना रद्द करने के बाद भीकांग्रेस के आदिवासी नेताओं और विधायकों ने विरोध यथावत रखने की धमकी दी
गुजरात के मुख्यमंत्री द्वारा नदी लिंक परियोजना को रद्द करने की घोषणा के बाद, कांग्रेस के आदिवासी नेताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इस संबंध में एक श्वेत पत्र जारी नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यह योजना कांग्रेस के शासन काल में बनाई थी मगर वह उचित नही होने से इसे बजट में शामिल नहीं किया गया था। भाजपा सरकार चुनाव के समय में आदिवासियों को लॉलीपॉप देने का काम कर रही है इसलिए इसका कांग्रेस द्वारा विरोध किया जाएगा। इतना ही नहीं, आने वाले दिनों में आदिवासियों द्वारा इसके लिए आंदोलन और रैली भी की जाएगी।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पार-तापी और नर्मदा नदी लिंक परियोजनाओं को रद्द करने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद कांग्रेस के आदिवासी नेता सूरत में जमा हो गए। उन्होंने सरकार के इस ऐलान को झूठा करार दिया। वांसदा विधायक एवं आदिवासी नेता अनंत पटेल ने कहा कि योजना के लिए केंद्र सरकार के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा गुजरात सरकार के बजट में भी प्रावधान किया गया है। आने वाले दिनों में चुनाव नजदीक आने के साथ ही भाजपा नेताओं ने आदिवासी आक्रोश को शांत करने के लिए परियोजना को रद्द करने की घोषणा की है। हालांकि, वे गुजरात के मुख्यमंत्री की घोषणा पर विश्वास नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस ने आंदोलन जारी रखने की धमकी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार द्वारा इस मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी करने के बाद ही आंदोलन रोका जाएगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. तुषार चौधरी ने कहा कि रिवर लिंक परियोजना केंद्र सरकार की है। इस योजना को केवल केंद्र सरकार ही रद्द कर सकती है। इस परियोजना को लोकसभा और राज्यसभा में मंजूरी मिल चुकी है। तो अब यह कानून बन गया है। अगर इस प्रोजेक्ट को रद्द करना है तो इसे लोकसभा और राज्यसभा में वापस लाकर फैसला लेना होगा। इसलिए हमें मुख्यमंत्री की घोषणा पर विश्वास नहीं हो रहा है। पुनाजी गामित और सुनील गामित ने कहा, इस योजना से 34 हजार से अधिक आदिवासी परिवार विस्थापित होंगे।
इस परियोजना से जंगल भी डूब जाएंगे। इसलिए हम विरोध करते हैं। इस परियोजना के खिलाफ हमारा आंदोलन आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा। यह परियोजना कांग्रेस के शासन के दौरान की गई थी। तो मौजूदा विरोध क्यों? अपने जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यह योजना बनाई थी यह सच है। हालाँकि, इस परियोजना को इस दलील के बाद रोक दिया गया था कि इससे आदिवासियों को भारी नुकसान होगा। लेकिन अब बीजेपी के शासक इस प्रोजेक्ट को करना चाहते हैं इसलिए हम विरोध कर रहे हैं।
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