सरकारी आंकड़ों में सूरत की उड़ान

सरकारी आंकड़ों में सूरत की उड़ान

सुनील खासगीवाला

वर्षों पहले लोकतेज के उद्घाटन संस्करण में मेरा एक लेख प्रकाशित हुआ था, “सूरत में हवाई सेवा हवा में।” इस लेख में मैंने यह बताने की कोशिश की थी कि राज्य के दूसरे नंबर के इस शहर को क्य़ों हवाई सेवाएं मिलनी चाहिये? जबकी राज्य के अन्य शहर जैसे वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भुज  तब भी हवाई सेवा से जुडे़ हुए थे। इस आलेख के प्रकाशित होने के लगभग 14-15 वर्षों बाद सूरत को विमान सेवाएं मिलीं और उत्तरोत्तर प्रगति करते हुए आज सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में  32वां क्रमांकित हवाई अड्डा बन गया है। यह स्थिति भी तब है जब कोविड-19 से उडानें और यात्री प्रभावित हैं। अन्यथा शायद सूरत का क्रम और ऊपर होता। लेकिन सूरत में विमान सेवा एवं यात्रियों के विकास को सरकार किस नजरिये से देखती है और किस तरह उसकी अवहेलना करती आई है, इसका एक उदाहरण आज भी इंटरनेट पर सरकारी वेबसाइट जीआईडीबी पर विद्यमान है।
यहां सूरत ने गुजरात के अहमदाबाद शहर को छोडकर अन्य सभी शहरों को हवाई सेवा में पछाड़ा है और द्वितीय क्रमांक शहर बना हुआ है। वहीं इस वेबसाइट, जो गुजरात का इंफ्रास्रक्चर विकास देखती है, के अनुसार गुजरात के अहमदाबाद, वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भुज और भावनगर शहरों में हवाई सेवा विस्तरण की अपार संभावना है और यही शहर अग्रिम रहेंगे। इसके अलावा अन्य किसी शहर में जिसमें सूरत भी शामिल है, विमान सेवाओं की कोई विशेष संभावना नहीं है।
आश्चर्यजनक है कि गुजरात सरकार की प्रायोजित वेबसाइट सूरत के प्रति शुष्क रुख दर्शाती है। यही कारण है कि जहां अहमदाबाद हवाई अड्डे को अदानी ग्रुप ने टेकओवर कर लिया है, वडोदरा शहर का हवाई अड्डा इस कदर बढ़िया ढंग से बनाया गया है कि उसके नाम पर ग्रिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है, राजकोट के पास हीरासर में नया
ग्रीन फिल्ड एयरपोर्ट आ रहा है, जो इस अगस्त में प्रारंभ हो जायेगा । हिरासर (राजकोट) का हवाई अड्डा कई मायनों में  हीरा नगरी (सूरत) के हवाई अड्डे से उच्च दर्जे का होगा और ज्यादा उच्च मानक वाला होगा, जो अंतरर्राष्ट्रीय उडाऩों को भी अब अबाधित रूप से संचालित कर पाएगा। जबकि ये दोऩों शहर सूरत से कईं छोटे हैं। लेकिन सूरत शहर को  विमान सेवाएं और हवाई अड्डा की विभिन्न सुविधाएं छोटी-छोटी किश्तों में  मिलती रहीं हैं। इसलिये यहां का हवाई अड्डा देखकर कोई भी आगंतुक आश्चर्यजनक रह जाता है
कि इतने बडे शहर का हवाई अड्डा इस तरह से बना हुआ है, जहां सुवविाओं की कमी है। और हाल ही में जब सूरत में मौसम बदलने के दौरान कोहरा होता है तो प्रायः प्रातःकालीन उड़ानें प्रभाववत होती रही क्योंकि रनवे पर आवश्यक उपकरणों वगैरह का पर्याप्त दर्जे का नहीं होना। इसका कारण भी आश्चर्यजनक है कि सूरत शहर की नगर पालिका से लेकर केंद्र सरकार तक भाजपा प्रशासित शासन है और सूरत से भाजपा को एक तरफा वोट मिलते रहे हैं। इतना बडा जनाधार होते हुए भी यहां से केंद्रीय मंत्री एवं फाॅर्ब्स बुक में पहले 10 नंबर में शामिल दमदार नेता सूरत का प्रतिनितधत्व करते हैं। लेकिन सूरत के यात्री लाचार हैं। हवाई अड्डे पर उतरते ही प्रि पेइड टैक्सी स्टैण्ड के अभाव में परेशान होते हैं।और वर्तमान में जो सूरत में विका कार्य चल रहे हैं, टर्मीनल विस्तरण, रनवे वविस्तरण, टैक्सी वे वह सब निर्धारित समय से बहुत ही पिछड़ रहे हैं। जबकि इन सभी सेवाओं का शिलान्यास स्वयं प्रधानमंत्री ने किया हुआ है। ऐसे में आज डेढ़ दशक से अधिक समय के पश्चात् भी मेरा प्रश्न फिर वही रहेगा, ‘सूरत को हवाई सेवा हवा में!?’
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