सूरत : हजीरा की औद्योगिक कंपनी के स्लैग का काला कारोबार चर्चाओं में

सूरत : हजीरा की औद्योगिक कंपनी के स्लैग का काला कारोबार चर्चाओं में

लोहे के पावडर ( मेटल स्क्रेप) के चल रहे व्यापार की जांच आयकर और जीएसटी अधिकारी क्यों नहीं करते? सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं

टीबी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लोग पीड़ित होने की शिकायतें मिल रही हैं 
हजीरा क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों से  निकलनेवाला कचरा ( स्लेग, धातुमल, लोहे का पावडर , मेटल वेस्ट) का हजीरा रिपेरियन क्षेत्र में कुछ राजनीतिक संबद्धता वाले ट्रांसपोर्टरों को लाखों टन स्लैग की बिक्री हो रही है। जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और स्थानीय लोगों का स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है ।  क्षेत्र के लोग जहरील रजकणों से पीड़ित हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है। अवैध रूप से करोड़ों की कमाई करने वाले स्लैग माफियाओं की जीएसटी और आयकर विभाग जांच क्यों नहीं कर रहे हैं? सिस्टम को सार्वजनिक खजाने को नुकसान और पर्यावरण पर गंभीर प्रभावों को रोकने के लिए समन्वय और कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
इस संबंध में सहकारी और किसान अग्रणी तथा गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के महासचीव दर्शन नायक ने जानकारी देते हुए कहा कि हजीरा कांठा क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कंपनियां स्थापित की गई हैं लेकिन स्थानीय लोगों की नौकरी मिलने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। स्थानीय लोगों को विशाल कंपनियों के कारण होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभावों से नुकसान हो रहा है, जिससे फसलों को व्यापक नुकसान हो रहा है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है। ऐसे समय में जब स्थानीय लोग गंभीर पर्यावरणीय प्रभावों के कारण टीबी और कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित है यह गंभीर चिंता का विषय है।  हजीरा क्षेत्र में कुछ स्थापित राजनेता जो स्लैग परिवहन को रीढ़ मानते हैं, उन्होंने परिवहन में तेजी से वृद्धि देखी है। करोड़ों रुपए का अवैध धंधा करनेवाले जिद्दी राजनीतिक शख्सियत सफेदपोश माफियाओं के गले में घंटी कौन बांधेगा। इस विचार से ही क्षेत्र के नागरिकों और व्यवस्था के अधिकारि चुप हो जाते है और इस तरह के मामलों को अंततः सुलझा लिया जाता है।  सूत्रों के अनुसार उपरोक्त लाखों टन मलबे को मलबे पर फेंक दिया गया है जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है जिस पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक करीब 30 लाख टन स्लैग की बिक्री हो चुकी है, जिसकी कीमत करीब 250 करोड़ रुपये आंकी गई है। क्षेत्र में लावा की बिक्री लंबे समय से हो रही है, लेकिन खुली बिक्री के अपराधी कभी भी पर्याप्त कार्रवाई नहीं कर पाए हैं क्योंकि नियमों के घोर उल्लंघन के बावजूद क्षेत्र में कंपनियों के अधिकारियों के साथ राजनीतिक मिलीभगत रही है। आरोप है कि आयकर विभाग और जीएसटी विभाग द्वारा मालिकों को जवाबदेह ठहराया जा रहा है।
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