सूरत : जलते अंगारे पर चलने की परंपरा आज भी जीवित है, दूर-दूर से लोग मन्नतें पूरी करने आते हैं यहां

सूरत : जलते अंगारे पर चलने की परंपरा आज भी जीवित है, दूर-दूर से लोग मन्नतें पूरी करने आते हैं यहां

लोगों को आस्था के अंगारों पर चलते देख आप भी दंग रह जाते है।

रंगों का त्योहार होली पूरे देश में मनाया जाता है। सूरत के एक गांव में होली बिल्कुल अलग तरीके से मनाई जाती है। ओलपाड तालुका के सरस गाँव में होली जलाने के बाद होली अंगारा पर नंगे पैर चलने की बरसों पुरानी परंपरा आज भी जीवित है। कोरोना महामारी के चलते ग्रामीणों के अलावा अन्य लोगों के आने पर दो साल के लिए रोक लगा दी गई थी। सरस गाँव की होली देखने के लिए तालुका के बाहर से बड़ी संख्या में लोग उमड़ते हैं। वर्तमान में कोरोना के दिशा-निर्देशों में ढील दी गई है। लोगों को आस्था के अंगारों पर चलते देख आप भी दंग रह जाते है। 
इस प्रथा को अंधश्रद्धा कहे या श्रद्धा। इस गांव में लोग होली की रात को होली जलाते हैं और बहुत धूमधाम से होली मनाते हैं। होलिका दहन के बाद पांच से छह सेंटीमीटर तक जलाए गए अंगारों पर लोग चलते हैं। पांच साल से लेकर साठ साल तक के लोग नंगे पैर चलते हैं।
वर्षों से गांव के लोगों ने एक आस्था के साथ अंगारे पर चलने का साहस किया है। भारत में रहने वाले लोग आस्था पर निर्भर हैं और आस्था पर अपना जीवन जीते हैं। सरस गांव के लोगों की होली में भी यही आस्था होती है। होलिका दहन के बाद अंगारों पर चलने की प्रथा सालों से चले आ रहे सरस गांव में इतनी लोकप्रिय हो गई है कि न केवल ओलपाड गांव के लोग बल्कि आसपास के गांवों में रहने वाले लोग भी सरस गांव में अंगारों पर चलने के लिए आते हैं।
होलिका की सात फेरे करने के बाद अंगारे पर चलते लोगों का नजारा अविश्वसनीय लगता है। इन नजारों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ते भी हैं। होली माता के जलते अंगारों पर चलते हुए लोगों को देखने के लिए सूरत समेत आसपास के जिलों से लोग बड़ी संख्या में उमड़ते हैं।
सरस  गांव में दादा-दादी के समय से चली आ रही परंपरा आज भी जिंदा है। आज गामजनों के साथ-साथ बाहरी व्यक्ति भी श्रद्धापूर्वक चल सकता है। सिर्फ सरस गांव में ही नहीं बल्कि सूरत जिले के किसी भी गांव में हम होली के दिन  प्रकटित देवता में चल सकते हैं, जो  होली मां की आस्था है। होली के देवता के अंगारों पर साल में एक बार ही चल सकते हैं लेकिन होली के अलावा इस आग के दवेता पर नहीं चल सकते। 
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