सूरत : हजीरा के उद्योगों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति उदासीन रवैया

सूरत : हजीरा के उद्योगों के माध्यम से स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति उदासीन रवैया

स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर सरकार में बैठे नेताओं की सांकेतिक चुप्पी: दर्शन नायक

आरटीआई की जानकारी से पता चला कि रोजगार कार्यालय के पास कोई जानकारी नहीं 
शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी के कारण हजीरा क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी है।कंपनियां कुशल और शिक्षित स्थानीय युवाओं की उपेक्षा कर रही हैं। शिकायत की गई है कि नौकरी के लिए स्थानीय युवकों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। हजीरा क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा कितने स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर दिए गए है ऐसी जानकारी आरटीआई के माध्यम से  सहकारिता एवं किसान अग्रणी दर्शन नायक द्वारा मांगी गई । आरटीआई में खुलासा हुआ है कि रोजगार कार्यालय के पास इस संबंध में कोई ब्योरा नहीं है।  
इस संबंध में सहकारिता नेता और किसान नेता दर्शन नायक ने कहा है कि कंपनियां 80 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने के सरकारी संकल्प का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं और सरकार भी इस संबंध में कोई कार्रवाई करने में विफल रही है। हजीरा क्षेत्र की महिलाओं के साथ-साथ हलपती आदिवासी समुदाय के लोगों को इन बड़ी कंपनियों में रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं और शिक्षित होने के बावजूद उन्हें रोजगार के अवसरों से दूर रखा जा रहा है। 
स्थानीय सहकारिता नेता दर्शन नायक द्वारा हजीरा क्षेत्र की कंपनियों द्वारा कितने स्थानिय युवाओं को रोजगार देने के अवसर उपलब्ध कराए ऐसी जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी गई।  सरकारी रोजगार मेलों के माध्यम से हजीरा क्षेत्र में कंपनियों द्वारा स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की मात्र बाते करती है। आरटीआई का जवाब मांगने पर रोजगार कार्यालय के पास हजीरा के मल्टीनेशनल कंपनीयों में स्थानिय युवकों को रोजगार देने की कोई जानकारी नही है। 
दर्शन नायक का आरोप है कि सरकारी अधिकारियों का बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है स्थानीय शिक्षित युवा अभी भी हजीरा के उद्योगों में रोजगार से वंचित हैं। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर सरकार में नेता चुप क्यों हैं। 

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