सूरत : उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आयोजित संस्कृत शास्त्रार्थ में गुरुकुल के स्वामी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया

सूरत : उत्तर प्रदेश के लखनऊ में आयोजित संस्कृत शास्त्रार्थ में गुरुकुल के स्वामी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया

देश भर के 26 विद्वानों से चर्चा कर विजेता बने स्वामी ने शास्त्रार्थ में सम्मान पाकर संप्रदाय का गौरव बढ़ाया

संस्कृत भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से हाल ही में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में संस्कृत शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों के विभिन्न धर्मों के विद्वानों ने भाग लिया। गुजरात के स्वामीनारायण सम्प्रदाय-धर्म के विद्वान के रूप में गुरुकुल के वेदांताचार्य विद्वान शास्त्री स्वरूपदासजी स्वामी ने संस्कृत शास्त्रार्थ में प्रथम स्थान प्राप्त कर एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विभिन्न राज्यों और धर्मों के 26 विद्वानों के बीच शास्त्रार्थ में स्वरूपदासजी स्वामी ने पूछा, 'जीव, ईश्वर और ब्रम्ह का समन्वय कैसे किया जा सकता है?' उन्होंने इस विषय पर सटीक शास्त्रीय प्रमाण दिए। उन्होंने स्पष्ट भाषा, तार्किक और ज्ञानवर्धक कथा शैली, सटीक कथन के साथ-साथ बॉडी लैंग्वेज के आधार पर सर्वश्रेष्ठ वक्ता के रूप में सम्मानित किया गया।
लखनऊ में स्वामी अभयानंद सरस्वतीजी ने स्वरूपदासजी-नवसारी की अध्यक्षता में आयोजित शास्त्रार्थ और सूरत गुरुकुल के विद्वान संतों की एक टीम में भाग लिया। जिसमें विद्वानों को विभिन्न विषयों की छानबीन करनी होती थी। सरस्वती जी के सामने रखे कलश से एक पत्र निकालकर उसमें लिखे विषय पर 10 मिनट  छानबिन करनी होती है। जज बनारस संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज दीक्षित और आजाद मिश्रा थे। स्पीकर द्वारा दिए गए भाषण पर सवाल उठाया गया था। जिसमें विद्वान और पूर्व आईएएस अधिकारी चंद्रमणि सिंह और सर्वेश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में विद्वानों द्वारा प्रश्न पूछे गए। 
वेडरोड गुरुकुल के महंत स्वामी धर्मवल्लभदासजी स्वामी ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद दिया
प्रभु स्वामी ने आगे कहा कि यह गुजरात के लिए गर्व की बात है कि शास्त्रार्थ की समाप्ति के बाद स्वामीनारायण धर्म और उसके संतों के नियमों की जानकारी पाकर विद्वान और अधिकारी प्रसन्न हुए। गुरुकुल के पूर्व छात्र शैलेशभाई काकड़िया ने शास्त्रार्थ में संतों की सीमा बनाए रखने की व्यवस्था की। अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत पूज्य बलरामदासजी महाराज ने अपने आश्रम में संतों के साथ शास्त्र सम्मलेन किया था। संतों ने अयोध्या में विभिन्न मंदिरों के साथ-साथ सरयू नदी में स्नान और छपैया धाम में भगवान स्वामीनारायण के जन्म स्थान का दौरा किया। संतों के वेडरोड गुरुकुल सूरत पधारने पर उनके इस गौरव सिद्धि के बदले महंत स्वामी धर्मवल्लभदासजी स्वामी ने माल्यार्पण कर आशीर्वाद दिया।
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