सूरत : बारडोली में छात्र और अभिभावक जब स्कूल पहुंचे तो पता चला बिल्डर ने 2 महीने पहले ही किराया ना मिलने पर ताले जड़ दिए थे!

सूरत : बारडोली में छात्र और अभिभावक जब स्कूल पहुंचे तो पता चला बिल्डर ने 2 महीने पहले ही किराया ना मिलने पर ताले जड़ दिए थे!

ऑफलाइन शिक्षण के सरकार के नियम के बाद भी नहीं चालू कर रहे थे स्कूल तो अभिभावकों ने की शिकायत और भांडा फूटा

राज्य में पिछले कई समय से शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी कई लापरवाही सामने आ रही है। ऐसी ही एक और लापरवाही या यूं कहें की बच्चों के भविष्य के साथ मज़ाक करने की एक और घटना सूरत के बारडोली इलाके से आई है। यहाँ एक स्कूल संचालक ने स्कूल के नाम पर एडमिशन तो ले लिया, पर अब जब बच्चों को सच में पढ़ाने की बात आई तो पता चला है कि असलियत में स्कूल में महीनों पहले ताला लगा दिया गया है। 
विस्तृत जानकारी के अनुसार, बारडोली-कड़ोद रोड पर स्थित स्कूल में बच्चों को छोड़ने के लिए अभिभावक पहुंचे तो पता चला कि स्कूल को तो 2 महीने पहले ही ताला लगा दिया था। इसके पहले गांधी रोड पर शांति जूनियर नाम से चलने वाली यह स्कूल ट्रांसफर कर धामडोद रोड पर नई बनी बिल्डिंग में शांति नेरेशन के नाम से नर्सरी से कक्षा 8 तक की स्कूल शुरू की गई थी। हालांकि लोकडाउन के दौरान तो स्कूलों में छुट्टी थी और सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही थी। हालांकि अब जब सरकार द्वारा प्रत्यक्ष शिक्षण की अनुमति दे दी गई है तो भी स्कूल द्वारा क्लासरूम में पढ़ाई शुरू नहीं करवाई गई थी। जिसके चलते अभिभावकों ने शिकायत दर्ज करवाई थी। 
अभिभावकों की शिकायत से परेशान होकर प्रिंसिपल ने गुरुवार को सभी छात्रों को स्कूल बुला लिया था। गुरुवार को जैसे ही लोग स्कूल पहुंचे पता चला कि वहाँ से तो स्कूल के बोर्ड हटा दिये गए है। वहाँ कोई स्कूल ही नहीं थी। जब इस बारे में जांच की गई तो बिल्डर के हवाले से पता चला कि स्कूल के संचालक मार्गशी व्यास ने बिल्डिंग का किराया नहीं दिया था, जिसके पहले दो महीने पहले ही स्कूल खाली करवा दी गई थी। इसके अलावा स्कूल संचालकों ने फिलहाल फायर सुविधा ना होने का हवाला देते हुये स्कूल को अनुमति ना देने की जानकारी देकर अपना पल्ला झाड लिया था। ऐसे में स्कूल में एडमिशन लेने वाले 30 छात्रों का भविष्य अब अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है। 
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल द्वारा लिविंग सर्टिफिकेट भी नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते उन्हें दूसरी स्कूल में भी एडमिशन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक अभिभावक ने बताया कि जब वह यहाँ आए तो बिल्डर के हवाले से पता चला कि स्कूल खाली करवा दी गई है। जब इस बारे में स्कूल के प्रिंसिपल से बात कि गई तो उन्होंने बताया कि इस बात की जानकारी उन्हें भी अभी ही हुई है।