
सूरत : 'बांध हटाओ, डांग बचाओ, आदिवासी बचाओ' की मांग के साथ कालीबेल गांव में आदिवासी समुदाय के नेताओं की बैठक
By Loktej
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आदिवासी समाज एकजुट होकर किसी भी सरकार के खिलाफ लड़ने के मूड में है
केंद्रीय बजट 2022 में शुरू की गई पार, तापी लिंक योजना के तहत डांग से प्रभावित 75 गांवों में से 35000 परिवारों के प्रभावित होने के साथ ही डांग की प्रकृति और जनजातियों को व्यापक नुकसान होने की संभावना है। विकास के नाम पर आदिवासियों को बेघर करने की केंद्र सरकार की बिना शर्त योजनाओं का विरोध करने के लिए गुजरात के आदिवासी समुदाय के नेता डांग के कालीबेल में एकत्र हुए।
इस योजना का विरोध करने के लिए आदिवासी एकता परिषद और डांग जिले के आदिवासी समुदाय के नेता एक साथ आए। वहीं डांग के आदिवासी लोगों के साथ-साथ धर्मपुर, वांसदा, नवसारी, तापी और अंबाजी से लेकर उमरगाम तक के क्षेत्र के आदिवासी समाज के लोग इस योजना का विरोध करने का समर्थन किया और सरकार के खिलाफ लड़ने के मूड में हैं। इससे पहले भी नर्मदा, उकाई, एसओयू वेदांता, कॉरिडोर जैसी कई परियोजनाएं जिन्होंने आदिवासियों की आदिवासीयत को खत्म किया है। नई योजना के लाभ या हानि को जाने बिना ऐसी योजना को थोप दिया जाता है। जो आदिवासी समाज का भला नहीं करते हैं। भविष्य में भी आदिवासी समाज किसी संगठित सरकार के खिलाफ लड़ने के मूड में है।
डांग बचाओ समिति का गठन किया गया है, जिसमें आदिवासी नेता सरकार की विकास नीति का विरोध करने के लिए एक साझा मंच पर आए हैं। भारत माला से लेकर रिवर लिंक तक की परियोजनाओं के कारण आदिवासी भूमिहीन होते जा रहे हैं। जहां नेता कह रहे हैं कि सरकार की नीति आदिवासियों के लिए ठीक नहीं है, वहीं पहले से ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या बजट में पेश किया गया प्रोजेक्ट सरकार पूरा करेगी।
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