सूरत : कोरोना काल में खूब तकलीफें देखीं थीं, अब प्रशासन स्मशानों के विकास के लिये गंभीर हुआ

सूरत : कोरोना काल में खूब तकलीफें देखीं थीं, अब प्रशासन स्मशानों के विकास के लिये गंभीर हुआ

पिछले काफी समय से दुनिया भर में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ है। महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश भर में हर किसी को काफी तकलीफ़ों का सामना झेलना पड़ा था। दूसरी लहर के दौरान मरीजों तथा कोरोना के कारण मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की संख्या इतनी अधिक हो गई थी की उनके लिए श्मशानों में जगह भी नहीं बची थी। दूसरी लहर में हुई इन परेशानियों को देखते हुये पालिका द्वारा श्मशानों को विकसित करने के लिए दोनों हाथों से ग्रांट दी जा रही है। 
दूसरी लहर के दौरान अश्विनीकुमार, जहाँगीरपूरा तथा उमरा श्मशान भूमि में लोगों की काफी भीड़ लगी थी। लोगों को अपने परिजनों के मृतदेह को सड़क पर रखकर इंतजार करने जैसी परिस्थिति का निर्माण हो गया था। ऐसे में ऐसी कोई भी परिस्थिति फिर से उत्पन्न ना हो इसलिए पालिका द्वारा सभी श्मशान भूमि के इन्फ्रास्ट्रक्चर और अन्य जरूरी कामों के लिए कुल 20 करोड़ की ग्रांट को अनुमति दी है।
हालांकि पालिका द्वारा अनुमति दिये जाने के बाद भी लिंबायत के श्मशान को मिले सबसे अधिक ग्रांट के मुद्दे ने विवाद को जन्म दिया है। जहां सबसे अधिक व्यस्त श्मशानों को एक या दो करोड़ की ग्रांट दी गई है, वहीं दूसरी और लिंबायत को अकेले 6.23 करोड़ की ग्रांट दी गई है। जिसके चलते विवाद को चिंगारी मिली है।