सूरत : साकार होगा वाजपेयी का सपना, गुजरात में पानी की किल्लत बीते दिनों की बात होगी

सूरत : साकार होगा वाजपेयी का सपना, गुजरात में पानी की किल्लत बीते दिनों की बात होगी

नदी के पानी को समुद्र में जाने से रोकने के लिए तापी और नर्मदा नदियों को दमन-गंगा से जोड़ने का बजट में घोषणा

केंद्रीय बजट में बहुउद्देश्यीय नदी संयोजन परियोजना का उल्लेख, नदी परियोजना के साकार होते ही नदियों में निरंतर पानी रहेगा
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश और खासकर गुजरात के लिए बेहद फायदेमंद नदियों को जोड़ने का ऐलान करते हुए संसद में बजट पेश किया है। इस घोषणा में केंद्रीय मंत्री ने तापी और नर्मदा नदियों को दमन-गंगा से जोड़ने की घोषणा की है, ताकि मार्ग की अन्य सात प्रमुख नदियों को भी इस पानी से बचाया जा सके। वह दिन दूर नहीं जब मानसून से कम पानी वाली इन नदियों को नर्मदा और दमन गंगा के संगम से 12 महीनों तक पानी मिलेगा। इससे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नदियों को जोड़ने का सपना साकार होगा और गुजरात में पानी की किल्लत बीते दिनों की बात हो जाएगी।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि दमनगंगा-पिंजल और पार-तापी-नर्मदा नदियों को आपस में जोड़ने के लिए डीपीआर के मसौदे को अंतिम रूप देने के निर्णय का स्वागत है। इस अहम फैसले से राज्य के आदिवासी इलाकों के किसानों को काफी फायदा होगा। 
भारत में उपलब्ध पानी का केवल 2 प्रतिशत गुजरात में उपलब्ध है, जबकि देश की 5 प्रतिशत आबादी गुजरात में रहती है, इसलिए नदी कनेक्शन की तत्काल आवश्यकता है। दक्षिण और मध्य गुजरात के करीब 29 फीसदी हिस्से में जरूरत से ज्यादा पानी है, जिससे नदियों के कनेक्शन से जहां जरूरत हो वहां आसानी से पानी पहुंचाया जा सके। उपलब्ध जल संसाधनों के एकीकृत प्रबंधन से जल संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित होगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में लोगों के प्रवास को रोका जा सकेगा और आर्थिक क्षमता में वृद्धि होगी।
दमनगंगा, पार, तापी और अन्य नदियों के अतिरिक्त पानी का सदुपयोग किया जाएगा। क्योंकि हर साल समुद्र में बर्बाद होने वाली पानी का योग्य उपयोग होगा। यह सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बेहद उपयोगी होगा। पार-तापी-नर्मदा से गुजरात के साथ-साथ दमनगंगा-पिंजल लिंक नहर को भी लाभ मिल रहा है, जिससे नदी संयोजन की योजना में महाराष्ट्र को लाभ हो रहा है।
पार-तापी-नर्मदा लिंक 402 किमी की लंबाई के साथ नर्मदा परियोजना के कमांड क्षेत्र में सालाना अतिरिक्त 1350 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ले जाने की योजना है। पार तापी-नर्मदा लिंक नहर की योजना में दक्षिण गुजरात के पार, औरंगाबाद, अंबिका और पूर्णा नदियों के निर्वहन क्षेत्र में कुल सात जलाशयों का निर्माण शामिल है। दमनगंगा-पिंजल लिंक की योजना में दमनगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कुल दो जलाशयों का निर्माण शामिल है।
सूरत चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि नदियों को जोड़ने से जल परिवहन संभव होगा। दुनिया भर में सभी परिवहन में जल परिवहन संभव है। इसके अलावा नदियों का संगम बाढ़ समेत कटाव को खत्म कर सकता है और पानी को एक नदी से दूसरी नदी में मोड़ने से सिंचाई समेत कई फायदे हो सकते हैं।
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