सूरत : संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विश्वासघात दिन मनाया

सूरत : संयुक्त किसान मोर्चा ने  केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विश्वासघात  दिन मनाया

नए कृषी कानुन वापस लिए जाने के साथ किसानों की मांगे पुर्ण करने का आश्वासन देने के बावजुद उस पर अमल नही होने से किसानों ने ज्ञापन दिया

केंद्र सरकार ने एमएसपी की कीमतों और आंदोलन में शहीदों के साथ न्याय नहीं करने का आरोप लगाया
सूरत। दक्षिण गुजरात किसान मोर्चा की अगुवाई में सोमवार को सूरत जिला कलेक्टर को किसान अग्रणीओं ने ज्ञापन देकर केन्द्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के साथ किए वादे पुरे नही कर विश्वासघात करने का आरोप लगाया था। किसान अग्रणीओं ने कहा कि इसी प्रकार से गुजरात के सभी जिलों और तालुका स्तरो पर किसान मोर्चा द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जायेगा
सूरत सहकारी अग्रणी दर्शन नायक की अगुवाई में दक्षिण गुजरात किसान मौर्चा और गुजरात किसान संघ के अग्रणीओं ने सोमवार दोपहर सूरत जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया।  ज्ञापन में कहा गया कि पिछले डेढ़ साल से पूरे देश में किसान आंदोलन शुरू हुआ था जिसे लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक करके कई फैसले लेने को लेकर समय-समय पर चर्चा होती रही है। किसानों को उचित दर पर समर्थन मूल्य (एमएसपी) के  लिए विशेष रूप से मांग रखी गयी थी।  किसान आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा भी तीनों कानुनों को वपास लेने की मांग और एमएसपी को लेकर ठोस कदम उठाएं जाने की थी। देश भर में किसानों के कड़े विरोध के बाद केंद्र सरकार ने तीनों कानूनों को वापस ले लिया। केंद्र सरकार द्वारा किसानों को समर्थन मूल्य उचित रूप से देने का आश्वासन दिया था। इस लिए किसानों ने आंदोलन स्थगित किया था। इसके बाद किसानों ने सरकार के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि किसानों को समर्थन मूल्य दिया जायेगा और शहीदों के परिवारों को भी मदद दी जायेगी। सरकार ने तब विश्वास व्यक्त किया था कि हम इस मुद्दे पर त्वरित निर्णय लेंगे। लेकिन अभी तक इन मुख्य बिन्दुओं पर कोई ठोस निर्णय नही लिया गया। 
संयुक्त किसान मोर्चा के सूरत में  किसान नेताओं के माध्यम से कलेक्टर द्वारा राष्ट्रपति को एक आवेदन भेजा गया है। जिसमें उन्होंने किसानों के साथ केन्द्र सरकार ने विश्वासघात किया होने की पेशकश की। केंद्र सरकार के इस फैसले पर किसानों ने नाराजगी जताते हुए आज के दिन को विश्वासघात का दिन बताया है। सरकार ने आंदोलन में शामिल होने वाले किसानों को आश्वासन दिया था कि समर्थन मूल्य की भी उचित समय पर घोषणा की जाएगी। लेकिन केंद्र सरकार उस भरोसे पर खरी नहीं उतरी है। इस वजह से आज किसानों के साथ  विश्वासघात महसूस कर रहे हैं।
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