सूरत : कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में छात्र, राज्य के 1100 छात्र संक्रमित

सूरत : कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में छात्र, राज्य के 1100 छात्र संक्रमित

सूरत में 532 में से एक भी छात्र को भर्ती नहीं करना पड़ा

कोरोना के संक्रमण ने छात्रों में बढ़ती चिंता का माहौल बना दिया 
 स्कूलों में बढ़ते संक्रमण के चलते 9वीं तक स्कूल बंद कर दिया गया है। यानी कक्षा 9 तक की कक्षाएं बंद हैं। हालांकि, अब तक स्कूलों में 1,100 से अधिक छात्रों ने कथित तौर पर पॉजीटिंव है। जिनमें से आधे यानी 532 मामले अकेले सूरत शहर में सामने आए हैं। अब तक बड़ी संख्या में छात्र पॉजिटिव निकले हैं। हालांकि, उस गंभीर मामले के बीच भी राहत एक ही है, एक भी छात्र  गंभीर नहीं है यानी अस्पताल में भर्ती होने के लिए मजबूर नहीं है।
सूरत के स्कूलों के लिए नगर पालिका ने समय-समय पर फैसला बदला है। इससे पहले पूरे स्कूल को 14 दिन के लिए बंद किया गया था। उसके बाद अगर कक्षा में छात्र पॉजिटिव आता है तो क्लास बंद कर दी जाएगी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से लगातार स्कूल के छात्र पॉजिटिव आ रहे हैं, इसलिए एक बार फिर से स्कूल बंद करने का फैसला लिया गया है।
जिस तरह से राज्य के स्कूलों में छात्रों में कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। यह अब चिंता का विषय बन गया है। 1 दिसंबर से अब तक 1100 छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। सबसे ज्यादा मामले सूरत से हैं। जहां कुल 532 छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वहीं दूसरे नंबर पर राजकोट आता है। जहां अब तक 80 छात्रों को कोरोना हो चुका है। गांधीनगर में, लगभग 50 छात्रों ने अब तक पॉजीटिव आये है, जबकि वडोदरा में सबसे कम मामले सामने आए हैं। जहां करीब 20 छात्रों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ये सभी आंकड़े डीईओ कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर जारी किए गए हैं।
राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार द्वारा ऑफलाइन कक्षा 1 से 9 तक बंद कर दिया गया है। हालांकि, मामलों की बढ़ती संख्या अब चिंता का विषय बन गई है। इसके बाद भी अधिकांश छात्रों का अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में बच्चों में इस बीमारी के फैलने को लेकर माता-पिता भी तनाव में आ गए हैं।
"मेरे बेटे की रिपोर्ट सकारात्मक थी," संक्रमित छात्र के माता-पिता ने कहा कि मेरे बेटे की रिपोर्ट पॉजीटिंव आई थी।  यह मेरे माध्यम से ही उसे कोरोना चेप लगा हो। हालाँकि, हम में ही आइसोलेट हो गये हैं। अब हम अच्छे स्वास्थ्य में हैं। अस्पताल में भर्ती होने के लिए मजबूर नहीं। हालाँकि, जिस तरह से 15 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को टीका दिया जा रहा है, उसी तरह  उन छोटे बच्चों को दिया जाए जो प्राथमिक में पढ़ रहे हैं। ताकि कोरोना के खतरे से हमेशा के लिए बचा जा सके और बच्चे बिना डरे स्कूल में पढ़ सकें।
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