सूरत : इस मकान की छत पर रोजाना 700 कबूतर दाना चुगने आते हैं, उत्तरायण पर पतंगों की डोर से इन्हें बचाना!

सूरत : इस मकान की छत पर रोजाना 700 कबूतर दाना चुगने आते हैं, उत्तरायण पर पतंगों की डोर से इन्हें बचाना!

उत्तरायण का पर्व नजदीक है। जैसा कि सभी जानते हैं गुजरात में उत्तरायण के मौके पर पतंगबाजी का विशेष चलन है। सूरत में लोग जमकर पतंगे उड़ाते हैँ। पतंगोत्सव के इस पर्व का एक नकारात्मक पक्ष भी है, जो अबोल पक्षियों के घायल होने से जुड़ा है। पतंग के मांझे से पक्षी घायल हो जाते हैं और कई किस्सों में उनकी मौत भी हो जाती है। 
उत्तरायण के इस नकारात्मक पहलू से सबसे ज्यादा चिंता किसी को रहती है तो वह हैं 59 वर्षीय जीवदया प्रेमी बिपीनभाई संघवी। गुजरात समाचार की एक रिपोर्ट के अनुसार बिपीनभाई शहर के कैलासनगर क्षेत्र में स्थित चिंतामणि एपार्टमेंट में रहते हैं। उनका पक्षियों और विशेष रूप से कबूतरों से विशेष लगाव है। वे पिछले तीस वर्षों से कबूतरों को अपने मकान की छत पर जाकर दाना खिलाते हैं। वे कहते हैं कि तीस साल पहले उन्होंने रोजाना 300 ग्राम दानों से कबूतरों का पेट भरने का सिलसिला शुरु किया था। आज उनकी छत पर रोजाना 700 से 800 कबूतर आते हैं और लगभग 70  किलो दाना चट कर जाते हैं। कबूजरों को तड़के सूरज की पहली किरण के साथ दाना चुगवाना उनका नित्यक्रम बन गया है। 
बिपीनभाई संघवी कहते हैं कि लोग उत्तरायण पर पतंग उडाएं उससे उन्हें कोई एतराज नहीं लेकिन पक्षियों को नुकसान न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये। इसके लिये वे कहते हैं पक्षी आम तौर पर सुबह 6 से 9 बजे के दौरान अपने घौंसलों से दिन भर दाना चुगने निकलते हैं और शाम को 4 से 6 के बीच लौटते हैँ। यदि इस समयावधि के दौरान पतंगबाजी कम की जाए तो पक्षियों को राहत प्रदान की जा सकती है। खैर, 14 जनवरी को पतंगें हमेशा की तरह खूब उड़ेंगी और उम्मीद करते हैं कि इस बार केवल बिपीनभाई ही नहीं, अपितु अपनी-अपनी छतों से पतंगें उड़ाने वाला हर शख्स अबोल पक्षियों का ख्याल रखेगा ऐसी कामना।
Tags: Uttarayan

Related Posts