सूरत : कपड़ा पर जीएसटी के बदले दरों को लागू करने की अस्पष्टता का असर कारोबार पर पड़ा

सूरत : कपड़ा पर जीएसटी के बदले दरों को लागू करने की अस्पष्टता का असर कारोबार पर पड़ा

बाहरी खरीददारी हुई ठप्प, व्यापारी चितिंत

जीएसटी काउंसिल में हुए निर्णय के मुताबिक 1 जनवरी 2022 से कपड़ा पर इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर 12 प्रतिशत जीएसटी लगने की चिंता में कपड़ा कारोबार की रफ्तार धीमी हो गई है। पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन की दिल्ली में मीटिंग हुई थी। जिसमें कपड़े से इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर दूर होने के साथ यार्न के रो-मटेरियल्स के अलावा 14 कपड़ा उत्पादन और वेल्युएडिशन चेन पर 12 फीसदी जीएसटी दर लागू होने से केपिटल खर्च बढऩे के साथ नवीनीकरण रूक जाएगा। इसके अलावा बेरोजगारी बढऩे की चिंता भी व्यक्त की जा रही है। डेढ़ घंटे तक चली मीटिंग बाद कपड़ा उत्पादकों को जीएसटी की समस्या का उचित निवारण लाने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री ने आश्वासन दिया है। अभी तक जीएसटी काउंसिल की मीटिंग को लेकर कोई घोषणा नहीं किए जाने से कपड़ा उत्पादकों की चिंता बढ़ गई है।
जीएसटी का कौनसा दर 1 जनवरी के बाद रहेगा इस असमजंस की स्थिति में व्यापारियों के पास नए आर्डर नहीं आने से पोंगल- क्रिसमस और लग्रसरा के लिए तैयाार किया गया माल दुकानों में पड़ा है। वीविंग इकाईयों में प्रोडक्शन तो हो रहा है, लेकिन मांग 70 प्रतिशत के निचे है। दिवाली के बाद करीबन रोजाना 350 ट्रक कपड़ा माल की डिलीवरी होती थी, जो अब फिलहाल 100 ट्रकों पर अटक गई है। इस बीच मिलों में सप्ताह में दो दिन छुट्टियां दिए जाने से 20 फीसदी प्रोडक्शन घट गया है।
टेक्सटाइल में मांग घटी 
चैंबर के अध्यक्ष आशिष गुजराती ने बताया कि 1 जनवरी के बाद जीएसटी का कौनसा दर कपड़ा क्षेत्र में लागू रहेगा इसको लेकर अस्पष्टता की स्थिति है। फिलहाल वीवर्स उत्पादन कर रहे है लेकिन उसके सामने मांग 70 प्रतिशत घट गई है। स्टॉक का संग्रह हो रहा है।
ट्रान्सपोर्ट  कामकाज में आयी कमी
सूरत टेक्सटाइल ट्रान्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष युवराज देसले ने बताया कि दिवाली के बाद व्यापारी लग्रसरा के लिए तैयारी करते है। हालांकि इस बार जीएसटी की दुविधा के कारण ऑर्डर मर्यादित रहने से 350 की जगह लगभग 100 ट्रकों से कपड़े की डिलीवरी की जा रही है।
दुकानों में स्टॉक जमा होने लगा
फोस्टा के प्रवक्ता रंगनाथ शारडा ने बताया कि जीएसटी दरों की असमजंस की स्थिति के कारण कपड़ा व्यापारियों की स्थिति ज्यादा दयनीय हो गई है। मिल में से कपड़ा आर्डर के मुताबिक तैयार होकर आ गया है लेकिन बिक्री नहीं होने के कारण व्यापारियों के पास स्टॉक जमा होने लगा है।
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