सूरत : बैंक के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय हड़ताल, कर्मचारियों ने रैली निकालकर सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

सूरत : बैंक के निजीकरण के खिलाफ  दो दिवसीय हड़ताल, कर्मचारियों ने रैली निकालकर सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने किया बैंक के निजीकरण का विरोध

केंद्र सरकार धीरे-धीरे सभी बैंकों के निजीकरण की ओर बढ़ रही है। राष्ट्रीयकृत बैंकों के विलय का प्रस्ताव बहुत पहले उठाया गया था। तभी बैंक कर्मचारियों को शक हुआ कि आने वाले दिनों में सरकार एक बार फिर बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण कर देगी, जिससे कुछ कारोबारियों को फायदा होगा। आम जनता पर सभी सेवा कर में वृद्धि की जाएगी। बहुत से लोग अपनी नौकरी खो देंगे। बैंक कर्मचारी कई मुद्दों पर सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।
सरकार ने बजट में बैंकों और बीमा कंपनियों का निजीकरण करने का फैसला किया है। बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना होगा। सरकार शीतकालीन सत्र में बेकिंग रेगुलेशन एक्ट और बेकिंग कंपनियों में संशोधन करने जा रही है। सरकार ने अब तक उन अधिकांश औद्योगिक घरानों को राहत दी है, जिन्होंने अपने बैंक ऋण को 70 से 95 प्रतिशत तक नहीं चुकाया है। अब सरकार की योजना के मुताबिक बैंकों को औद्योगिक घरानों के हवाले किया जा रहा है। बैंकों का कारोबार उन औद्योगिक घरानों को सौंपने का मामला है जिन्होंने बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के सचिव वसंत बरोट ने कहा कि गुरुवार, 16 दिसंबर और शुक्रवार, 17 दिसंबर को दो दिवसीय हड़ताल है। शनिवार, 18 दिसंबर को बैंकिंग फिर से शुरू होगी, जबकि रविवार 19 दिसंबर को बैंक बंद रहेगा। हड़ताल को लेकर यूनियन पदाधिकारियों ने कहा कि बैंकों में मौजूदा 1 लाख नई भर्तियां रुकेंगी, रिजर्व प्रथा खत्म होगी और बेरोजगारी और बेरोजगारी बढ़ेगी।  बैंक कर्मचारी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। सरकार के इस कदम के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल की जा रही है। 
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