सूरत : हीरा उद्योग में अभी भी 20 प्रतिशत कारीगरों की कमी, कई कारीगर वतन से वापस नहीं लौटे

सूरत : हीरा उद्योग में अभी भी 20 प्रतिशत कारीगरों की कमी, कई कारीगर वतन से वापस नहीं लौटे

दिवाली से पहले तेजी के कारण नए लोगों द्वारा कामकाज शुरू किए जाने से भी श्रमिकों की डिमांड

दिवाली से पहले हीरा बाजार में तेजी के चलते एक महीने की छुट्टी के बावजूद इकाइयां शुरू गई हैं। हालांकि इस तेजी का फायदा उठाने के लिए अन्य नई इकाइयां भी सक्रिय हो गई हैं। लेकिन वतन से कारीगरों के न लौटने के कारण 20 प्रतिशत की कमी है। दिवाली के बाद जैसे ही डायमंड मेन्युफेक्चरिंग इकाईयां शुरू होती है, कारीगरों की कमी उद्यमियों को परेशान करती है। ऐसा सिर्फ इस साल ही नहीं हुआ है। पिछले कई सालों से यही स्थिति है। कारीगर हर साल दिवाली की छुट्टी मनाने घर जाते हैं। लेकिन सभी कारीगर वापस नहीं लौटते है। 
दिवाली के तुरंत बाद कारीगरों की कमी का एक और कारण उद्योग में नई मेन्युफेक्चरिंग इकाइयों का जुडऩा है। दिवाली से पहले आई तेजी को देखते हुए नए खिलाड़ी तेजी का फायदा उठाने के लिए इकाइयां शुरू कर रहे हैं और यह संख्या करीब 5-7 फीसदी है। इस वजह से भी कारीगरों की डिमांड बढ़ी है। कारीगरों की समस्या के समाधान के लिए कारखानदार कुशल कारीगरों के लिए विज्ञापन का भी सहारा ले रहे हैं। 
दीपावली के बाद के तेजी का लाभ उठाने के लिए डायमंड मेन्युफेक्चर्स के अलावा ज्वेलरी मेन्युफेक्चर्स  को कारीगरों की जरूरत है और पिछले 10-12 दिनों से विज्ञापन आ रहे हैं। पिछले एक साल में कारीगरों का वेतनमान बहुत बढ़ गया है। पिछले एक साल में 20-25 फीसदी बढक़र 20-25 या 30-35 हजार पगार कमाने वाला कारीगर का वेतन 20 से 25 प्रतिशत बढऩे के कारण कोई भी असंतुष्ट नहीं है और अब कारीगरों की कमी के बावजूद मजदूरी दरों में वृद्धि का मुद्दा अनसुलझा है।
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