सूरत : ठंड की कमी से सूरत की पहचान पोंक का टेस्ट बदला

सूरत : ठंड की कमी से सूरत की पहचान पोंक का टेस्ट बदला

ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रतिकूल असर के कारण पोंक के अस्तित्व पर खतरा

पिछले कई वर्षों से सूरत में असमान ग्लोबल वॉर्मिंग के प्रतिकूल असर के कारण  पर्याप्त ठंड नहीं होने से सूरत की पहचान पोंक क अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। वर्तमान में सूरत में पोंक बेचा जा रहा हैं लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव के कारण सूरती पोंक पहले की तरह  मीठे नहीं हैं। पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण सूरत में पोंक बाजार फिक्का और सख्त दिख रहा है। हालांकि मौजूदा ठंड के चलते अगले पखवाड़े के बाद असली पोंक खाने को मिलने की संभावना है।
पोंक, पापड़ी और पतंग सूरत की तीन पहचान हैं लेकिन सूरत में सर्दी शुरू होने के साथ ही मौसम ने करवट ली और बारिश भी हुई। जिससे माहौल काफी बदल गया है। सूरत में पिछले कई सालों से ग्लोबल वार्मिंग और शहरीकरण के कारण सूरत की पहचान पोंक के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है। हालांकि इस चुनौती के बावजूद कुछ किसान सूरत की पहचान पोंक के अस्तित्व को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। 
पोंक बेचने वाले एक व्यापारी का कहना है कि सूरत में पोंक भ_ी सर्दियों की शुरुआत के साथ शुरू होती है, लेकिन कम बारिश और कम ठंड के कारण पोंक अब पहले जैसा नहीं रहा। तथ्य यह है कि वर्तमान पोंक थोड़ा सख्त और फिक्का है। केवल जब यह ठंडा और ओसदार हो जाता है तो पोंक ज्वार नरम हो जाता है और पोंक मीठा हो सकता है। वर्तमान ठंड और कोहरे के कारण कुछ ही दिनों में जो नया ज्वार आएगा वह मीठा और मुलायम होगा। 
सूरत में प्रदूषण की मात्रा कम होने के साथ ही अब ठंड भी बढ़ी तो पोंक सूरतियों को पहले जैयाा मिल सकता है। पोंक प्रेमी सुरतियों का भी कहना है कि पोंक का स्वाद जरूर बदला है लेकिन ठंड का मौसम शुरू होते ही पोंक खाना जरूरी है। इसलिए भले ही स्वाद बदल गया हो, हम टेस्ट से पोंक और पोंक व्यंजन खाते हैं।
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