
सूरत : कपड़ा उद्योग पर 12 प्रतिशत जीएसटी को लेकर देशभर के मुख्यमंत्रियों से लगाई गुहार
By Loktej
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कपड़ा उद्योग द्वारा गठित जीएसटी रिप्रेजन्टेशन कमेटी सक्रिय
जीएसटी के दरों में बढ़ोत्तरी को लेकर गठन की गई जीएसटी रिप्रेजेंटेशन कमेटी मंगलवार से सक्रिय हो गई है। 28 राज्य के मुख्यमंत्री- वित्तमंत्री और सचिवों के साथ जीएसटी काउंसिल के ग्रुप ऑफ मिनिस्ट्रर्स को भी कपड़ा उद्योग पर टेक्स में बदलाव करने की मांग की है। आज फियास्वी- चैंबर की अगुवाई में सूरत सहित कपड़ा संगठन राज्य वित्तमंत्री कनुभाई देसाई से मिलेगा।
जीएसटी पूर्व 3.5 लाख करोड़ का टर्नओवर करने वाला देश का कपड़ा उद्योग का कद 7 लाख करोड़ हो जाने का आंकड़ा सोमवार को हुई 40 संगठनों की मीटिंग में सामने आया था। इसमें से जीएसटी पूर्व सरकार को 10 हजार करोड़ की आय होती थी, वह बढक़र आज 35 हजार करोड़ हो चुकी है। सरकार 12 प्रतिशत जीएसटी अब कपड़ा पर वसूलने को तैयार है। इसके पीछे का कारण देश के 1 लाख वीवर्स को सालाना 1000 करोड़ का दिया जाने वाला रिफंड नहीं देने के साथ कर रूप से मिलने वाली आय बढ़ाना माना जा रहा है।
उंचे दर से दो नंबरी व्यापार बढऩे के साथ सरकार जो आय बढ़ाने की अपेक्षा रख रही है वह भी नहीं मिलेगी। इस आंकड़ाकीय जानकारी के साथ ही चैंबर- फियास्वी की अगुवाई में बनी सूरत की जीएसटी रिप्रेजेन्टेशन कमेटी ने 28 राज्यों के मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री और वित्त सचिवों के सामने अपनी बात रखना मंगलवार से शुरू किया है। आज सभी आंकड़ों के साथ राज्य के वित्तमंत्री से भी गुहार लगाएंगे।
वीविंग- स्पीनिंग के बीच तंत्र का भेदभाव
चैंबर के एन्टी डम्पींग ड्यूटी कमेटी के कन्वीनर मयूर गोलवाला ने बताया कि सरकार जीएसटी के दर बढ़ाकर वीविंग-स्पीनिंग इंडस्ट्रीज के बीच भेदभाव कर रही है। एक तरफ वीविंग को मिलने वाली 650 करोड़ की क्रेडिट चुकाना नहीं चाहती है। वहीं दूसरी ओर नए जीएसटी के स्लेब के कारण करीबन देश के 40 से 50 प्रतिशत स्पीनिंग के जायन्ट इकाईयों को सालाना 4 हजार करोड़ से ज्यादा की क्रेडिट दी जाएगी।
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