सूरत : अध्यात्मनगरी से 75 दीक्षार्थि संसार को छोडकर संयम की राह पर

सूरत  : अध्यात्मनगरी से 75 दीक्षार्थि संसार को छोडकर संयम की राह पर

सूरत में एक साथ ७५ मुमुक्षुओं ने दीक्षा अंगीकार कर संसार का त्याग करके संयम के मार्ग पच चल पडे, इस अलौकिक अवसर का शहरवासी गवाह बने

सूरत दीक्षा महोत्सव में शिक्षा और संयम के पथ पर 75 साधकों, 14 करोड़पति, 8 सहित पूरे परिवार को दीक्षा दी गई।
दीक्षा के अवसर पर 40,000 से अधिक भक्तों ने भाग लिया, केश लोचन का माहोल देखकर सभी हुए भावुक
कार्तिक वद 10 आज ही के दिन 2590 साल पहले भगवान महावीर स्वामी को दीक्षा दी गई थी। इसी पवित्र दिन पर सूरत में दीक्षा का एक नया इतिहास लिखा गया है। जिस दिन भगवान ने केश लोचन किया था उसी दिन सूरत में केश लोचन क्रिया का अद्भुत वातावरण बना। सूरत के इतिहास में 29 नवंबर 2021 का दिन कार्तिक वद 10 को सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया है। आध्यात्मिक नगरी वेसु में स्वंय इतिहास ही धर्मत्याग का इतिहास लिख रहा  हो ऐसा अवसर था सामूहिक दीक्षा महोत्सव  के आखिरी दिन का ।  
श्री शांतिकनक श्रमणोपासक ट्रस्ट अध्यात्म परिवार तथा सूरिरामचंद्र तथा सूरिशांन्तिचन्द्र समुदाय द्वारा शहर सोमवार को एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जिसमें वेसु स्थित आध्यात्मिक नगरी में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों समेत कुल 75 श्रद्धालुओं ने दीक्षा ग्रहण। सामुहिक दीक्षा महोत्सव में पिछले पांच दिनों से लाखों की संख्या में लोग पहुंचे हैं। जैन धर्म में दीक्षा कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साह था। राज्य के मुख्यमंत्री ने भी सूरत आकर सभी दीक्षार्थिओं का तीन दिन पूर्व अभिवादन किया था। उल्लेखनीय है कि इस दीक्षा महोत्सव में 14 करोड़पति, 8 पूरे परिवार सहित उच्च अभ्यास करनेवाले संयम के पथ पर चल पड़े हैं। 
दीक्षा के अवसर पर 40,000 से अधिक भक्तों ने भाग लिया, केश लोचन का माहोल देखकर सभी हुए भावुक
आज के दीक्षा महोत्सव में पिछले चार दिनों चल रही दीक्षा की घड़ी का बेसब्री से इंतजार था। सोमवार तडके 4.41 मिनट पर गुरु भगवंतो और मुमुक्षुों ने दीक्षा मंडप में प्रवेश किया। संयम की राह पर चल रहे साधकों के लिए आज नया नामकरण व संस्कार भी संपन्न हुआ। कैश लोचन कार्यक्रम के दौरान बेहद चौकाने वाला नजारा देखने को मिले। इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे और ऐतिहासिक द्रश्य को देखने के लिए शुक्रगुजार थे।  75 मुमुक्षुओं की रविवार को हुए सामुहिक वर्षीदान यात्रा के दृश्य भी अद्भुत थे। मुमुक्षो के चेहरे पर मुस्कान आकर्षक थी। आज 75 मुमुक्षु  संसार का मार्ग छोड़कर तपस्या का मार्ग अपना चुके हैं। जैनाचार्य विजय योग तिलकसुरीश्वरजी के भाषण का प्रभाव ऐसा था कि सभी भक्त झुक गए और उनके हाथों में दीक्षा लेने के लिए उत्सुक थे। अंत में 75 मुमुक्षु के दीक्षा के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। योगतिलकसूरीश्वरजी महाराज के मार्गदर्शन में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में पूरे आठ परिवारों के सभी सदस्यों ने घर को ताला लगाकर सामुहिक दीक्षा ली है। दीक्षितों में से 14 करोड़पति हैं और गुजरात के साथ-साथ महाराष्ट्र से भी आते हैं। दीक्षार्थि 7 से 70 वर्ष के आयु वर्ग के हैं ,  38 पुरुषों और 37 महिलाओं सहित कुल 70 लोगो ने एक साथ दीक्षा ली। आयोजक ने कहा कि यह शायद सबसे बड़ा दीक्षा उत्सव है जिसमें कई दीक्षार्थि जैन मुनि और साध्वीयां बन गई हैं। पिछले कार्यक्रम में करीब 69 लोगों ने दीक्षा लिया था। 
दीक्षा महोत्सव के आकर्षण
- 8 परिवारों ने घर को तालाबंद कर सहपरिवार सामुहिक  दीक्षा ली
- 4  करीबी बहनों की जोड़ी, 2 भाई-बहन और 2 बाल्यावस्था के भाई,  9 एकलौती संतान संयम की राह पर
-सीए, डॉक्टर, इंजीनियर, सीएस, बीई, स्पोर्ट्स प्लेयर आदि उच्च डिग्रीधारी 
- 7 वर्ष से 70 वर्ष तक के 70 प्रतिशत से अधिक युवा उम्र के 
- 32 सूरत से,  29 मुंबई से और 4 अहमदाबाद से दीक्षार्थि
- 15 करोड़पति साधन संपन्न परिवार के दीक्षार्थि
- केश लूंचन का अद्भुत अलौकिक नजारा
- डेढ़ किलोमीटर लंबी वर्षीदान की शानदार यात्रा
-60,000 बाल कहानियों के किताबों का वितरण
- 40 हजार सरकारी कर्मचारियों को मिठाई का वितरण, आरएसएस के माध्यम से वितरण व्यवस्था
- गुजरात के मुख्यमंत्री, गुजरात बीजेपी अध्यक्ष, गृह मंत्री द्वारा मुमुक्षुओं का राजस्वी बहुमान
-10,000 जरूरतमंदों को अनुकंपा किट का वितरण
- 10,000 . से अधिक लोगों ने अंतिमवायणा के लिए दी सक्कर
-सूरत के संघों का स्वामी वात्सल्य, 30,000  को बैठाकर भक्ति
-संयम एक्सप्रेस, शौर्यगाथा, संसारचक्र और बेनमून जिनालय


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