सूरत :कपड़े पर 12 प्रतिशत जीएसटी; जानें बाजार विशषज्ञों की राय

सूरत :कपड़े पर 12 प्रतिशत जीएसटी; जानें बाजार विशषज्ञों की राय

सूरत के साड़ी-लहंगा भी महंगा होगा

कोरोना की दूसरी लहर के बाद पटरी पर आए कपड़ा उद्योग पर नई मुसीबत आयी है। गुरूवार रात सरकार के रेवेन्यू विभाग ने परिपत्र जारी करके एमएमएफ (मेन मेड फकब्रिक्स) के पूरे चेन पर जीएसटी का एक समान दर 12 प्रतिशत कर दिया है। बड़े इकाईयों के लाभ के लिए ग्राहक और छोटे इकाईयों के सिर पर अतिरिक्त कर लगाए जाने की शहरके कपड़ा इंडस्ट्रीज में चर्चा शुरू है।
दिवाली पूर्व जीएसटी काउंसिल की 45 वीं बैठक में सर्वसम्मति से कपड़ा और फुटवेयर उद्योग में जीएसटी का इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर दूर करने की घोषणा की गई थी। इस घोषणा को 1 जनवरी 2022 से लागू किए जाने की बात भी कहीं थी। घोषणा के साथ ही सूरत के कपड़ा उद्योग की अगुवाई करनेवाली संस्था फोस्टा, एसजीटीटीए, चैंबर, फियास्वी आदि द्वारा सरकार को इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर नहीं हटाने और कपड़ा पर 5 और 12 प्रतिशत के जीएसटी के दर यथावत रखने की मांग की थी। उद्योग अग्रणी दिल्ली आर गांधीनगर तक गए थे। फिर भी सरकार द्वारा जीएसटी फेरफार का नोटिफिकेशन 18 नवंबर गुरूवार को जारी किया गया और सेक्शन 53 और 54 के तहत आने वाले सभी फाइबर और फेब्रिक्स पर जीएसटी के दर 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिए गए। इसके कारण पॉलिएस्टर कपड़े के उत्पादन में 65 प्रतिशत योगदान देने वाले सूरत का कपड़ा उद्योग पर बड़ा असर होगा। 
जीएसटी लागू होने के पहले यानि वर्ष 2017 पहले सिर्फ यार्न को वेट कानून में शामिल किया गया था। जीएसटी लागू होने के बाद कपड़ा ट्रेडिंग, वीविंग, नीटिंग, प्रोसेसिंग, स्पीनिंग सहित सभी सेगमेंट को 5 से लेकर 12 प्रतिशत तक के स्लेब में शामिल किया गया। अभी तक इन्वर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण सालाना 650 करोड़ की क्रेडिट हासिल करने वाले सूरत के 20 हजार से ज्यादा वीविंग इकाईयों को वर्ष 2022 की शुरूआत से उन्हें भूल जाना पड़ेगा। सरकार को 6 माह तक कोर्ट में चुनौति देकर वीवर्स ने प्राप्त की क्रेडिट अब छोटे इकाई धारकों को हमेशा के लिए भूल जाना पड़ेगा।
सरकार के फैसले से कपड़ा उद्योग दो हिस्से में बंटेगा
सरकार के इस फैसले से पूरा उद्योग दो हिस्से में बंट जाएगा। एक तरफ ट्रेडर्स- वीवर्स को नुकसान होगा। वहीं प्रोसेसिंग-स्पीनिंग इंडस्ट्रीज के 5 सालों से फंसी इनपुट टेक्स क्रेडिट मिल जाएगी। वीविंग- ट्रेडिंग का कहना है कि रिफंड के आधार पर वेल्युएडिशन और मशीनरी अपग्रेडेशन पर होने वाली प्रतिस्पर्धो पर ब्रेक लगेगा। जिसके कारण कई वीविंग इकाईयों में ताले लग जाएगे। सूरत में तैयार होनेवाली साड़ी, ड्रेस मटेरियल्स और लहंगा 12 प्रतिशत के स्लेब में आने से प्रति पीस 300 से 1 हजारा तक वृद्धि होने का व्यापारियों का अंदाज है। 
वहीं प्रोसेसिंग- स्पीनिंग इंडस्ट्रीज का के मुताबिक प्रोसेसिंग, स्पीनिंग सेक्टर और बड़े कम्पोजिट इकाईयों को एक समान दर के कारण मशीनरी, कलर, केमिकल के तौरपर चुकायी 12 और 18 प्रतिशत की जीएसटी की आईटीसी उनके खाते में जमा पड़ी रहती थी, वह अब निकाल सकेंगे। सरकार के नए फतवे के खिलाफ उद्योग अग्रणियों ने जीएसटी के नए दर के असर का रिपोर्ट तैयार करना शुरू कर दिया है। वहीं चैंबर-कैट जैसी संस्थाओं ने राज्य वित्तमंत्री को वीविंग को बचाने पत्र भी लिखा है।
सभी फाइबर-फेब्रिक्स पर एक ही दर आवश्यक
एसआरटीईपीसी के चेयरमेन धीरज शाह ने बताया कि वीविंग के अलावा प्रोसेसिंग, यार्न मेन्युफेक्चरिंग, एक्सपोर्ट के लिए सकारात्मक असर होगा। कोटन के पूरे चेन पर 5 प्रतिशत जीएसटी है। वहीं एमएमई के चेन पर 12 प्रतिशत जीएसटी से बड़ा असर होगा। सभी फाइबर या फेब्रिक्स पर एक ही टेक्स आवश्यक है।
व्यापारी अंडर बिलिंग से कर सकते है काम
एसजीटीटीए प्रमुख सुनील जैन ने बताया कि कोरोना के बाद फिर से पटरी पर आया कपड़ा उद्योग टूट जाएगा। जैसे वैसे व्यापारी रजिस्टर रखकर बिलिंग से काम करने लगे थे। अब फिर से अंडर बिलिंग से काम किए जाने की चिंता सता रही है। साथ ही सूरत के कपड़े में उसकी कीमत के मुताबिक  करीबन 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
पुरानी पड़ी रही क्रेडिट उपयोग में आएगी
प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की बात करें तो कलर, केमिकल मशीनरी के अलावा ट्रान्सपोर्ट जैसे सर्विस की 12 से 18 जीएसटी के सामने 1 हजार करोड़ की क्रेडिट बिना उपयोग की पड़ी रहती थी। जिसे अब उपयोग में लिया जा सकेंगा, जिससे उद्योग में वित्तीय तरलता आएगी।
इंडस्ट्रीज को होगा नुकसान
फियास्वी चेयरमेन भरत गांधी ने बताया कि पहली बार घोषणा हुई थी तब सरकार को उद्योग के सभी आंकड़ों के साथ सूरत सहित देश के कपड़ा उद्योग की परिस्थिति से वाकिफ किया गया था। अब अगर फिर से इंडस्ट्रीज को बचाना होगा तो जीएसटी फेरफार वापस लेना पड़ेगा।
4 हजार करोड़ का नवीनीकरण अटकेंगा
चैंबर प्रमुख आशीष गुजराती ने बताया कि सूरत के कपड़ा इंडस्ट्रीज पर लाखों परप्रांतीय निर्भर है। 12 प्रतिशत उंचे दर से 1440 करोड़ का कपड़ा बनाने वाले वीविंग उद्योग में 4 हजार करोड़ का नवीनीकरण अटकेंगा। ट्रेडर्स का कपड़ा महंगा होने से वैश्विक प्रतिस्पर्धो में बने रहना मुश्किल होगा। लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
6 माह की पेेमेंट साइकल में 12 प्रतिशत का दर से कमर टूटेंगी
फोगवा प्रमुख अशोक जीरावाला ने बताया कि 650 करोड़ की क्रेडिट तो नए फतवे से मिलेगी नहीं लेकिन 1200 करोड़ का अतिरिक्त टेक्स का बोझ वीविंग के सिर पर आएगा। इसके अलावा 6 माह की पेमेंट साइकल में 12 प्रतिशत जीएसटी के उंचे दर से सूरत के कई इकाईयां बंद हो जाएगी।

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