सूरत : वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर सिविल से बुजुर्ग महिला मरीज को स्मीमेर अस्पताल में भेजा गया

सूरत : वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर सिविल से बुजुर्ग महिला मरीज को स्मीमेर अस्पताल में भेजा गया

कोरोनाकाल में सरकार द्वारा नई सिविल अस्पताल को बड़ी संख्या में वेंटिलेटर आवंटित किए थे

सूरत नई सिविल अस्पताल आए दिन विवादों में आती रहती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।  सरकार द्वारा सूरत न्यू सिविल अस्पताल को कोरोनाकाल में मरीज की जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं। ऐसे में मांडवी की गंभीर हालत में बुजुर्ग महिला को वेंटिलेटर नहीं होने की बात कहकर सिविल से स्मीमेर अस्पताल भेजे जाने की जानकारी मिली है।
सूत्रों के अनुसार गुरुवार देर रात अचानक से सांस लेने में तकलीफ होने पर मांडवी निवासी 67 वर्षीय छानीबेन चौधरी को उनके परिवार के सदस्यों द्वारा बारडोली अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया। वहां से उसे आगे के इलाज के लिए  सूरत न्यू सिविल अस्पताल ले जाया गया। बाद में वहां से महानगरपालिा संचालित स्मीमेर अस्पताल में भर्ती किया गया।  छानीबेन के  रिश्तेदार ने कहा कि सिविल में से स्मीमेर के डॉक्टर को बताए बिना भेजा गया। निजी वाहन में रूपये खर्च करके मरीज को स्मीमेर ले जाया गया। 
न्यू सिविल के कर्मचारी ने हमें बताया कि मरीज की हालत गंभीर है और हमारे अस्पताल में वेंटिलेटर नहीं है, इसलिए इसे यहां भर्ती नहीं किया जा सकता है। अगर इस दौरान कुछ भी गलत होता है तो इसकी जिम्मेदारी डॉक्टर या अस्पताल के स्टाफ की नहीं होगी। ऐसा मरीज के रिश्तेदार से वहां डॉक्टर ने लिखवा लिया था। हालांकि स्मीमेर में मरीज के लिए एक वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई थी। अगर वहां वेंटिलेटर नहीं होता तो मरीज की हालत और खराब हो जाती
गौरतलब है कि कोरोना काल में सरकार द्वारा सूरत सिविल को मरीजों की जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में वेंटिलेटर आवंटित किए गए हैं। वर्तमान में सिविल में 350 से 400 वेंटिलेटर हैं इनमें से कुछ वेंटिलेटर का उपयोग गंभीर स्थिति के रोगी के लिए किया जा सकता है। न्यू सिविल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. गणेश गोवेकर ने कहा कि वेंटिलेटर खाली नहीं होने के कारण मरीज को भेजा गया था।
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