सूरत : उगते सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ प्रकृति की अराधना का महापर्व

सूरत :  उगते सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ प्रकृति की अराधना का महापर्व

पूजा स्थलों पर गूंजे शंख ध्वनि एवं जयकारे

सूर्योदय के साथ ही छठ महापर्व के चौथे दिन सूर्यदेव को प्रात:कालीन अर्घ्‍य देकर आस्था के इस चार दिवसीय महापर्व का समापन हो गया। सूरत शहर के डिंडोली, भेस्तान, सचिन, पांडेसरा, उधना, भटार, मगदल्ला, पालनपोर, जहांगीरपुरा, कोजवे , अमरोली सहित अलग-अलग हिस्सों में श्रद्धालुओं ने पानी में उतरकर उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और सुख-संपन्नता की कामना की। इसके साथ ही, कोरोना महामारी के खात्मे की भी मन्नतें मांगी। जहां एक ओर डिंडोली के सरोवर तालाब पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने  छठ की पूजा कर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया, तो वहीं  ‌डिंडोली के करड़वा तालाब में सूर्यदेव की पूजा की। अहले सुबह से ही पूर्व दिशा में मुख कर सभी व्रती भगवान भास्कर के उदय होने का इंतजार करने लगे। भगवान सूर्य के दर्शन होते ही जहां एक ओर व्रती भगवान को अर्घ्य अर्पण किया, वहीं श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाये।   
इससे पहले व्रतियों ने बुधवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया था। तापी किनारे और  तालाबों व अन्‍य जलाशयों पर आस्‍था का जन-सैलाब देखा गया। चार दिवसीय छठ पूजा का गुरुवार को चौथा और आखिरी दिन था। कठिन व्रतों में से एक छठ का व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है। नहायखाय के साथ शुरु हुए पर्व के दूसरे दिन खरना के दिन शाम को गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। खरना के दिन ही छठ पूजा की सारी तैयारी कर ली जाती है। 
उल्लेखनीय है कि बिहार विकास परिषद द्वारा जहांगीरपुरा इस्कॉन मंदिर के पास तापी किनारे एवं डभोली में छठ पर्व का आयोजन किया गया। जबकि श्री छठ मानव सेवा ट्रस्ट की ओर से डिंडोली सरोवर पर तथा नवदुर्गा सेवा समिति की ओर से करडवा तालाब छठ महा पर्व का आयोजन किया गया। इसके अलावा शहर के भेस्तान तालाब, सचिन, पांडेसरा, अमरोली सहित शहर विविध क्षेत्रों में छठ महा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। साथ ही अनेक व्रती अपने घरों पर ही छठी मइया का पूर्ण विधिविधान से पूजन किया। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य देते हैं और छठी मैय्या की पूजा करते हैं। गुरुवार 11 नवंबर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया। उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद  प्रसाद वितरण किया गया। इन सब के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण की। छठ पर्व का समापन सुबह के समय सूर्य अर्घ्य के बाद हुआ। छठ पर्व पर सूर्य देव और उनकी बहन छठ मैय्या की उपासना की जाती है। संतान के जीवन में सुख की प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए छठ का व्रत रखा जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है।  छठ व्रत और छठ पूजा आदि करने से छठ मैय्या की आशीष मिलती है और निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है।
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