सिल्क और डायमंड के बाद सूरत बना रेडीमेड गारमेंट ट्रेडिंग का नया हब

सिल्क और डायमंड के बाद सूरत बना रेडीमेड गारमेंट ट्रेडिंग का नया हब

शहर में 4 हजार से ज्यादा गारमेंट के व्यापारी

सिल्क और डायमंड के बाद रेडीमेड गारमेंट और इसके फेब्रिक्स के लिए सूरत अन्य देशों के लिए नया ट्रेडिंग डेस्टीनेशन बना है। लेडीस-जेंटस गारमेंट कपड़े की दुबई, युएसए और बांग्लादेश सहित इंटरनेशनल मार्केट में भी बड़ी डिमांड है। 3 साल पहले गारमेंट का काम करने वाले 300 व्यापारियों की संख्या बढक़र 4 हजार से ज्यादा तक पहुंच चुकी है।
पॉलिएस्टर कपड़ा उत्पादन में सूरत सबसे आगे है। देश की डिमांड के एकमात्र 65 फीसदी पॉलिएस्टर फेब्रिक्स सूरत में तैयार होता है। ऐसे में अब फाइबर टू फेब्रिक्स बनाने वाले सूरत के उत्पादक धीरे-धीरे वेल्यूएडिशन करके गारमेंट की ओर मुड़ रहे है। सूरत डेनिम और लिनन फेब्रिक्स के उत्पादन में भी देश में दूसरे नंबर है। ऐसे में सूरत में पॉलिस्टर कोटन कपड़ा का हो रहे उत्पादन के कारण गारमेंट सेक्टर में दोनों बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। नवरात्रि से शुरू हुए त्यौहारों की सीजन के कारण यूपी, बिहार, कोलकत्ता और दक्षिण भारत के बाजारों में साड़ी और ड्रेस मटेरियल्स की अच्छी डिमांड निकली है। इसके साथ-साथ रेडीमेड गारमेंट और इसके फेब्रिक्स की भी अच्छी डिमांड सूरत के उत्पादकों के पास हो रही है।
स्थानीय गारमेंट के व्यापारी का कहना है कि कोरोना के कारण मुंबई से कई व्यापारी स्थानांतर करके सूरत आए है। इसके पीछे का मुख्य कारण गारमेटिंग है। सूरत बढ़े गारमेंटिंग के कारण कोरोना के बाद 4 हजार से ज्यादा व्यापारी गारमेंट फेब्रिक्स का कारोबार कर रहे है। जिसमें लेडीस-जेन्टस कुर्ती और कुर्ता और लहेंगा की बड़ी डिमांड है। शुटिंग-शर्टिंग के फेब्रिक्स भी बन रहा है। हालांकि इसकी स्टींचिंग दिल्ली के मार्केट में बड़े पैमाने पर हो रही है।
कोरोना के बाद मुंबई के कई उत्पादकों ने सूरत में मेन्युफेक्चरिंग यूनिट सूरत में शुरू कर दिए है। जिसके संख्या करीबन 125 से ज्यादा है। सूरत में बनने वाले गारमेंट के कपड़ा का 80 फीसदी एक्सपोर्ट दुबई-बांग्लादेश में होता है। दूसरी ओर सूरत के फेब्रिक्स दिल्ली जाता है वहां इसका स्टीचिंग होने के बाद युएसए के मार्केट में सप्लाय होता है।

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