सूरतः वराछा में व्यापारियों ने अघोषित लॉकडाउन से आजीविका बंद होने के तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया

सूरतः  वराछा में व्यापारियों ने अघोषित लॉकडाउन से आजीविका बंद होने के तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन किया

व्यापारियों ने संपूर्ण लॉकडाउन अथवा बाजारों को खोलने की मांग की

शहर के वराछा इलाके में छोटे व्यापारी सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। वराछा क्षेत्र के 80 से अधिक व्यापारियों ने अपनी दुकानों के सामने तख्तियां रखकर विरोध प्रदर्शन किया। तख्तियों पर, उन्होंने मांग की कि सरकार या तो पूरी तरह से तालाबंदी करे या बाजार खोले।
पिछले 15 दिनों से छोटी दुकानों के बंद होने से लोगों की आय पर बड़ा असर पड़ रहा है। अपने परिवार का भरण पोषण किस तरह करे उसे लेकर अब लोगों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। वराछा क्षेत्र में हजारों कारखानें शुरू किए गए हैं। तो दूसरी तरफ छोटे दुकानदारों को बंद होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सच तो यह है कि  एक छोटी सी दुकान में, लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा नहीं होते हैं। एक दुकान में मुश्किल से दो या तीन लोग होते हैं।  सरकार द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा था। फिर भी सरकार ने दुकानों को बंद करा रखी है। 
भरत चोवटिया नामक एक दुकानदार ने वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दुकानें बंद हैं। आय के स्रोत बंद हो गए हैं। दूसरी ओर, पालिका को चुकाये जाना वाला सभी करों का भुगतान करना होगा। लाइट बिल का भुगतान करना पड़ता है, बच्चों को स्कूल नहीं जाने पर भी स्कूल की फीस देनी पड़ती है। ऐसी स्थिति में आमदनी न होने पर हम यह सारा पैसा कैसे चुकाये। हम परिवार का भरण पोषण ऐसी स्थिति में  नहीं कर सकते हैं, इसलिए हम मांग करते हैं कि सरकार अपने दोहरी नीति को बरकरार कर हम जैसे गरीब और छोटे व्यापारियों को जीने दे। यानी छोटे  दुकानों को खोलने की अनुमति दे। 
वर्तमान परिदृश्य में छोटे व्यापारी  अपने परिवारों का भरण पोषण  कैसे करें ऐसी विकट स्थिति में आ गये हैं।  वराछा क्षेत्र में छोटे व्यापारियों ने  तख्तियों (प्लेकार्ड) पर अपनी वेदना व्यक्त देखे गये। उन्होंने कहा कि सरकार से अपील की है कि  "यदि आप दुकानों को अब खोलने की अनुमति नहीं देते हैं, तो  कोरोना से मौत तो बाद में होगा, लेकिन बेरोजगारी और आय के बिना, हमें मौत के मुंह में  धकेल दिये जाएंगे।  छोटी दुकानों को जल्दी से शुरू करना और लोगों की रोजगार समस्याओं को हल करने के लिए कदम उठाना आवश्यक है। सूरत जैसे औद्योगिक शहर में, छोटे और बड़े व्यवसाय चलाकर अपने परिवारों का समर्थन करने वाले लाखों छोटे और बड़े व्यापारियों की स्थिति विकट होती जा रही है।
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