सूरत : गड़बड़ ही गड़बड़; जिसको रेमडीसीवीर इंजेक्शन मिले नहीं उसका नाम पाने वाले की सूची में!

सूरत : गड़बड़ ही गड़बड़; जिसको रेमडीसीवीर इंजेक्शन मिले नहीं उसका नाम पाने वाले की सूची में!

इंजेक्शन ना मिलने के बावजूद वराछा के चिरायु अस्पताल का नाम सूची में आया, एडिशनल सुपरिडेंटेट ने कहा जांच होगी

सूरत सिविल हॉस्पिटल में पिछले दिनों रेमेडेसिविर इंजेक्शन को बांटने की प्रक्रिया में गोलमाल किए जाने की आशंका व्यक्त की गई थी। इसी बीच शनिवार को सिविल हॉस्पिटल में से वराछा की चिरायु हॉस्पिटल का नाम इंजेक्शन लेने वालों के तौर पर सामने आया जबकि हॉस्पिटल ने तो सिविल हॉस्पिटल से इंजेक्शन लिया ही नहीं था। इसके चलते सिविल प्रशासन के सामने और आशंका के बादल गहरा गए हैं।
शनिवार को सिविल हॉस्पिटल से 2700 इंजेक्शन बांटने की घोषणा की गई थी जो कि शनिवार दोपहर में ही बट गए। इसके चलते सवेरे से लाइन में खड़े कई लोगों को इंजेक्शन नहीं मिलने से वह नाराज हो गए थे। इंजेक्शन के लिए दो दिन से आ रहे वराछा के योगी चौक क्षेत्र के चिरायु हॉस्पिटल के कर्मचारी मयूर पोलारा ने बताया कि हॉस्पिटल में 13 मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता है। यह लेने के लिए वह 2 दिन से हॉस्पिटल आ रहा है। शनिवार को फिर से इंजेक्शन खत्म हो गए ऐसा जवाब मिला है। सिविल हॉस्पिटल की दीवाल पर इंजेक्शन लेने वाले 60-65 हॉस्पिटल की लिस्ट चिपकाए गई है जिसमें कि चिरायु हॉस्पिटल का भी नाम दिख रहा है। जबकि मुझे तो कोई इंजेक्शन नहीं मिला है।
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo : IANS)

इस बारे में जब मैंने सात नंबर की खिड़की पर शिकायत की तब वहां पर उपस्थित स्टाफ ने कलेक्टरालय में शिकायत करने के लिए कहा है। चिरायु हॉस्पिटल के नाम पर किसे इंजेक्शन दिया गया है यह जानने के लिए डॉक्यूमेंट देखना पड़ेगा। दूसरी और 15 तारीख को सिविल में से चिरायु हॉस्पिटल के कर्मचारी को इंजेक्शन दिया गया होने की जानकारी सामने आ रही है लेकिन मयूर को पोलारा ने कहा कि 15 तारीख को इंजेक्शन लिया गया था। लेकिन शनिवार को हॉस्पिटल में जो लिस्ट चिपकाया गया है वह 16 तारीख का है। इस बारे में सिविल हॉस्पिटल की एडिशनल सुपरिंटेंडेंट ने कहा कि इस बारे में अभी कुछ भी बता पाना जल्दबाजी होगी पूरी जांच के बाद ही सच्चाई बाहर आ पाएगी। इस दौरान लोगों में भयंकर नाराजगी थी। लोगों का कहना था कि ज्यादा पैसे दे तो बाजार में इंजेक्शन मिल जाता है और सिविल में इतनी व्यवस्था के बाद इंजेक्शन क्यों नहीं मिल रहा। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है।