श्मशान घाटों पर टोकन लेकर स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिये करना पड़ रहा इंतजार

श्मशान घाटों पर टोकन लेकर स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिये करना पड़ रहा इंतजार

उप-महापौर ने शहर के आसपास के ग्राम पंचायतों के स्मशान घाटों पर नॉन-कोविड शवों के अंतिम संस्कार पर विचार करने की प्रशासन से अपील की

कोरोना महामारी का वर्तमान चेहरा देखकर हर कोई खौफ खा जायेगा। लोग अपने बीमारी परिजनों के ईलाज के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में बिस्तरों की कमी पड़ गई है, रेमडेसेवीर इंजेक्शन के लिये परिजनों को एक स्थान से दूसरे स्थान जुगाड़ के लिये भटकना पड़ रहा है। प्रशासन अपने स्तर पर स्थिति सामान्य करने के लिये प्रयास कर रहा है, लेकिन कोरोना के विकराल होते रूप के सामने सब कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं। 
सूरत के तीन श्मशान ग़ृहों पर कोविड और नॉन-कोविड शवों के अंतिम संस्कार के लिये लंबी कतारें लगी हुई हैं। कोविड से मरने वालों के आधिकारिक रूप से घोषित होने वाले आंकडों के सामने कोविड प्रोटोकोल के अनुसार होने वाले अंतिम संस्कारों की आंखों देखी संख्या कहीं अधिक है। आम तौर पर इन तीनों स्मशान गृहों पर औसतन दिन भर में आने वाले पार्थिव देहों की तुलना में अभी इतने सारे शव पहुंच रहे हैं कि लोगों को अपने स्वजनों के अंतिम संस्कार के लिये बाकायदा टोकन लेकर लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। 
नौबत यहां तक आ गई है कि अब तो स्मशान गृहों में भी अपने स्वजन का अंतिम संस्कार दूसरों से पहले हो जाए इसके लिये सिफारीश की जाने लगी है। यह परिस्थिति की भयावहता दिखाता है। गुरूवार को सूरत के उमरा स्मशान भूमि का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। 65 सैकंड के इस वीडियो में कई शव कतारबद्ध दिखाये गये थे। वीडियो बनाने वाले के मन का दर्द यही था कि लोग कोरोना को हल्के में न लें और कोविड गाइडलाइंस का पालन करें अन्यथा स्मशान ग़ृह में व्याप्त विषत हालातों से रूबरू न होना पड़ जाए। 
उधर सूरत के उप-महानौर दिनेश जोधाणी ने महापालिका आयुक्त से निवेदन किया है कि चुंकि सूरत के प्रमुख स्मशान गृहों में अंतिम संस्कार में समय लग रहा है, ऐसे में शहर के आसपास 27 ग्राम पंचायतों और दो नगरपालिकाओं में नॉन-कोविड शवों के अंतिम  संस्कार पर विचार किया जाना चाहिये जिससे शहर के घाटों पर दबाव और भीड़ कम हो।
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