गुजरात : जिसका डर था वही हुआ! जामनगर में सामने आया मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला!

गुजरात : जिसका डर था वही हुआ! जामनगर में सामने आया मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला!

गुजरात में मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मामले को लेकर हड़कंप मच गया है। जामनगर में मंकीपॉक्स का एक संदिग्ध मामला सामने आया है। जामनगर के गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में मंकीपॉक्स के एक संदिग्ध मरीज को भर्ती कराया गया है। फिलहाल मरीज के सैंपल को जांच के लिए गांधीनगर की लैब में भेजा गया है। जबकि मरीज का आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार मंकी पॉक्स के लक्षण वाले एक संदिग्ध मरीज को जामनगर के जीजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नागनाथ गेट इलाके में रहने वाले 29 वर्षीय व्यक्ति को जामनगर के गुरु गोबिंद सिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिलहाल मरीज का सैंपल लेकर गांधीनगर की लैब में भेज दिया गया है। उधर, जीजी अस्पताल के नए भवन के आइसोलेशन वार्ड में मंकी पॉक्स के एक संदिग्ध मरीज को उपचाराधीन रखा गया है।
गौरतलब है कि भारत में एक ओर जहां मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं, वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के संक्रमण की स्थिति में क्या करें और क्या नहीं, इसकी लिस्ट जारी की है।
मंकीपॉक्स संक्रमण क्या है?
मंकीपॉक्स वास्तव में चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। इसे पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में खोजा गया था। एक बार यह बीमारी बंदरों में फैल गई तो इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया। मनुष्यों में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में सामने आया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाया जाता है। वायरस पाक्स वीरीडे परिवार से संबंधित है, जिसमें वह वायरस भी शामिल है जो चेचक का कारण बनता है।
जानिए क्या हैं इसके लक्षण
मंकीपॉक्स के मरीजों में बुखार और रैशेज जैसे लक्षण ज्यादातर देखने को मिलते हैं। चेचक की तुलना में मंकीपॉक्स कम संक्रामक होता है। इसके कारण होने वाली समस्याएं चेचक से भी कम घातक होती हैं। इसके लक्षण दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं। हालांकि, कुछ रोगी गंभीर हो सकते हैं। एक संक्रमित व्यक्ति दाने के दिखने से लेकर पूरे दाने की पपड़ी के गिरने तक संक्रमण का शिकार हो सकता है। इससे मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत तक हो सकती है।
मंकी पॉक्स अलग तरह से फैलता है
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अब तक करीब 80 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और करीब 50 मामलों की जांच चल रही है। निगरानी बढ़ने पर और मामले सामने आने की संभावना है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह वायरस कोरोना से अलग तरीके से फैलता है। रोगी के घाव से निकलने के बाद वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा, बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने या उनके रक्त और शरीर के तरल पदार्थ को छूने से भी मंकीपॉक्स फैलता है।
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