गुजरात : 500 साल पुराना बरगद का पेड़ अब धार्मिक पर्यटन स्थल में तब्दील होगा, यह पेड़ कहां स्थित है जानें

गुजरात : 500 साल पुराना बरगद का पेड़ अब धार्मिक पर्यटन स्थल में तब्दील होगा, यह पेड़ कहां स्थित है जानें

कंथारपुर वड़ को मिनी कबीरवड़ के नाम से भी जाना जाता है

500 साल पुराने बरगद के पेड़ को अब धार्मिक पर्यटन स्थल में बदला जाएगा।
500 साल पुराने कंथारपुर वड को मिनी कबीरवड़ के नाम से भी जाना जाता है। यह गांधीनगर, गुजरात में धार्मिक पर्यटन स्थलों की सूची में नवीनतम शामिल किया गया है। विशाल कंथारपुर वटवृक्ष एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में छह करोड़ के विकास कार्यों के प्रथम चरण में लैंडस्केपिंग, ध्यान की जगह, प्रदर्शन हॉल,पाछवे एवं गेदरिंग एरिया जैसी विकास लक्षीय कार्य शुरु किया गया है। 
पेड़ के नीचे देवी महाकाली का मंदिर भी है, इसलिए इस स्थान पर बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इस जगह को कंथारपुर महाकाली वड के नाम से भी जाना जाता है और वर्तमान में इसे गुजरात पवित्र तीर्थ विकास बोर्ड (जीएचपीडीबी) द्वारा विकसित किया जा रहा है। कंथारपुर वड़ का पेड़ आधा एकड़ में फैला हुआ है और पहले से ही स्थानीय लोगों के बीच एक लोकप्रिय धार्मिक स्थान रहा है। यह साइट राज्य और देश के अन्य हिस्सों से भी अच्छी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करती है। 
इस पेड़ की परिधि हर साल लगभग 5 मीटर बढ़ जाती है
इस पेड़ की परिधि हर साल लगभग 5 मीटर बढ़ जाती है। इस पेड़ के तने के बीच में महाकाली माता का मंदिर स्थित है। इस वृक्ष के थड में प्राचीन वाव आवेली की लोककथा है। यह वृक्ष 1,000 से अधिक पक्षियों और बंदरों का घर बन गया है। जमीन को गांव के स्थानीय लोगों ने पालन-पोषण (उछेर) के लिए दान कर दिया था और स्थानीय लोगों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता था। इस पेड़ को गुजरात का हेरिटेज ट्री बनाया गया है। अब से कंथारपुर महाकाली वड गांधीनगर के धार्मिक पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल हो जाएगा। इनमें अक्षरधाम मंदिर, अडालज त्रि-मंदिर, मिनी पावागढ़, श्री नीलकंठ महादेव मंदिर और वासनिया महादेव मंदिर शामिल हैं।
इन धार्मिक स्थलों के अलावा गांधीनगर में कई रमणीक स्थान भी हैं। जिसे आप देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, शानदार अडालज स्टेपवेल, एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। सरिता उद्यान एक लोकप्रिय स्थानीय पिकनिक स्थल है। पुनीत वन हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित एक वनस्पति उद्यान है और शिल्पकार गांव स्थानीय कला और शिल्प की खरीदारी के लिए एक अच्छी जगह है। कई अन्य स्थानीय आकर्षण हैं। जिसमें आप घूम-फिर सकते हैं। हाल ही में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने इस विशाल कंथारपुर बरगद के पेड़ का दौरा किया था। सीएम पटेल ने भी कार्यक्रम स्थल पर स्थानीय निवासियों और बच्चों से मुलाकात की और बातचीत की। इसके बाद उन्होंने स्थल को धार्मिक पर्यटन आकर्षण के रूप में विकसित करने के लिए किए जा रहे विभिन्न कार्यों का निरीक्षण किया और आवश्यक मार्गदर्शन भी दिया। इससे पूर्व वर्तमान के पीएम नरेंद्र मोदी जब गुजरात के सीम थे तब 2005 में बिना किसी नोटिस के बरगद के पेड़ का दौरा किया था। 
पूरी परियोजना पर लगभग 14.96 करोड़ रुपये खर्च होंगे
सरकार के मुताबिक बरगद के पेड़ का क्षेत्रफल आधा एकड़ में फैला हुआ है और गुजरात पवित्र तीर्थ विकास बोर्ड को निर्धारित समय के भीतर परियोजना को पूरा करने के लिए कहा गया है। विशाल बरगद के पेड़ को धार्मिक पर्यटन स्थल में बदलने की पूरी परियोजना की लागत लगभग 14.96 करोड़ रुपये बताई जा रही है। एसीएमओ के बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी के निर्देश पर कंथारपुर महाकाली वड को गुजरात पवित्र तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
यह वड हिम्मतनगर और चिलोड़ा के बीच स्थित है। यहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद संकरा लेकिन खूबसूरत है। वहीं कोई सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है। जिससे आप अपने निजी वाहन की सवारी करके वहां पहुंच सकते हैं। यह वड चिलोड़ा से 18 किमी दूर है। गांधीनगर से महाकाली वड 30 किमी, अहमदाबाद से महाकाली वड 50 किमी और हिम्मतनगर से महाकाली वड 45 किमी दूर है।
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