गुजरात : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्यव्यापी ‘नमो वड वन’ अभियान का गांधीनगर से कराया शुभारंभ

गुजरात : मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल ने राज्यव्यापी ‘नमो वड वन’ अभियान का गांधीनगर से कराया शुभारंभ

राज्य में 33 ज़िलों में 75 स्थानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी को प्रिय बरगद के पेड़ के ‘नमो वड वन’ का निर्माण किया जाएगा

प्रत्येक ‘नमो वड वन’ में 75 वटवृक्ष बुवाई द्वारा पर्यावरण शुद्धि, स्वच्छ वायु तथा प्राकृतिक ऑक्सीजन प्राप्त करने का संकल्प होगा साकार
मुख्यमंत्री  भूपेंद्र पटेल ने देश की आज़ादी के 75 वर्ष के अवसर पर मनाए जा रहे ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय वन दिवस यानि 21 मार्च सोमवार को गुजरात में एक उदाहरणीय और देश के लिए मार्गदर्शक अभियान का शुभारंभ कराया है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को गांधीनगर में बरगद का पेड़ लगाया और प्रधानमंत्री  नरेंद्रभाई मोदी को प्रिय बरगद के पेड़ों के ‘नमो वड वन’ का निर्माण करने के पर्यावरणीय अभियान का राज्यव्यापी शुभारंभ कराया। ‘नमो वड वन’ अभियान के अंतर्गत वन विभाग द्वारा राज्य के 33 ज़िलों में 75 बड़ वन स्थापित किए जाएँगे और प्रत्येक वन में बरगद के 75 पेड़ लगाए जाएँगे। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से मनाए जा रहे ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव-आज़ादी के 75वें वर्ष’ में वन विभाग का ‘नमो वड वन’ निर्माण अभियान राज्य में वटवृक्ष की पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्ता पुन: स्थापित करेगा। इतना ही नहीं, इस अभियान से राज्य सरकार के ग्रीन कवर बढ़ाने के दृष्टिकोण को भी वेग मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने ‘नमो वड वन’ बुवाई कार्यक्रम में 33 ज़िलों के 75 स्थानों पर सहभागी हुए नागरिकों तथा वन प्रेमियों को ‘बाईसैग’ के माध्यम से प्रेरक संदेश दिया और उनके साथ संवाद किया। उन्होंने कहा कि आज जब पूरा विश्व ग्लोबल वॉर्मिंग की समस्या से जूझ रहा है, तब प्रधानमंत्री  नरेंद्रभाई मोदी के मार्गदर्शन में हमने वन के साथ जन को जोड़ कर राज्य में अलग-अलग स्थानों पर वनों का निर्माण किया है। हमने वन महोत्सवों के माध्यम से अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर ग्रीन कवर बढ़ाने का मार्ग अपनाया है। इस संदर्भ में उन्होंने जोड़ा कि कोरोना की वैश्विक महामारी ने हमें स्वच्छ प्राण वायु का महत्व समझा दिया है। ये वन महोत्सव तथा हरियाली क्रांति अधिक से अधिक पेड़ लगा कर प्राकृतिक प्राण वायु और बड़ के पेड़ जैसे अक्षय वृक्ष से स्वच्छ प्राकृतिक ऑक्सीजन प्राप्त करने में उपयुक्त बने हैं। श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि बरगद के पेड़ का हमारे पुराणों में भी महत्वपूर्ण उल्लेख है। इतना ही नहीं, वटवृक्ष की उपयोगिता तथा मानव जीवन में इसके उपकारों को परिणामस्वरूप बरगद को राष्ट्रीय वृक्ष माना गया है।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि राज्य में स्थापित होने वाले बरगद के पेड़ों के ‘नमो वड वन’ आगामी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण सुरक्षा तथा स्वच्छ वायु की देन सिद्ध होंगे। उन्होंने गुजरात में वन सम्पदा के संवर्द्धन, जतन तथा संरक्षण के लिए जनभागीदारी से अपनाए गए आयामों की सफलता की भूमिका दी। फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इण्डिया की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले दो वर्षों में वृक्षाच्छादित क्षेत्र में 6900 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2003 में वन क्षेत्र से बाहर लगभग 25.10 करोड़ पेड़ थे। वर्ष 2021 की वृक्ष गणना के अनुसार राज्य में वन क्षेत्र से बाहर पेड़ों की संख्या 39.75 करोड़ हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथ्वी पर समग्र जीव सृष्टि के अस्तित्व के आधार समान पेड़ों, वनों तथा वनस्पतियों के जतन-संवर्द्धन की परम्परा हमारी संस्कृति में बुनी हुई है। इसीलिए पेड़ों-वन्यजीवों की आदि-अनादि काल से पूजा-अर्चना होती आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले वनबंधुओं के जीवन का आर्थिक आधार वन्य उत्पाद हैं। हमें इन वनबंधुओं को आत्मनिर्भर बना कर ‘आत्मनिर्भर गुजरात से आत्मनिर्भर भारत’ साकार करना है। 
मुख्यमंत्री ने गांधीनगर में बरगद का पेड़ लगाया और प्रधानमंत्री को प्रिय बरगद के पेड़ों के ‘नमो वड वन’ का निर्माण करने के राज्यव्यापी शुभारंभ कराया
उन्होंने इस संदर्भ मे कहा कि वनबंधुओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम (पीईएसए) 1996 के अंतर्गत स्थानीय वनबंधुओं को उनके गौण वन्य उत्पादों के विक्रय अधिकार दिए गए हैं। इतना ही नहीं, वन क्षेत्र में उत्पादित 30 से 35 लाख बाँसों की बिक्री से भी वनबंधुओं को आजीविका मिली है। राज्य सरकार ने इस वर्ष के बजट में ‘बाम्बू मिशन’ योजना के तहत 5891 हेक्टेयर में बाँस की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के वास्ते 20 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहने वाले बरगद के पेड़ों की भाँति सरकार के विकास कार्य भी दीर्घकालीन तथा सस्टेनेबल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने गुजरात में विकास कार्यों के जो बीज बोए थे, वे बीज अब विकास के वटवृक्ष बन कर करोड़ों नागरिकों को सुशासन की विशिष्ट सुख-सुविधाएँ दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि पेड़-वन पर्यावरण की सुरक्षा करते हैं और साथ ही स्वच्छ वायु, निर्मल जल तथा स्वस्थ जीवन के लिए उपकारी हैं। उन्होंने आग्रहपूर्वक अनुरोध किया कि हमें अधिक स्वस्थ व स्वास्थ्यप्रद जीवन के लिए प्रकृति के जतन-संवर्द्धन के साथ रासायनिक खाद मुक्त खेती तथा प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ना होगा। इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री किरीटसिंह राणा ने कहा कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत में सबसे पहले गुजरात में पृथक क्लाइमेट चेंज विभाग शुरू कर नया मार्ग दिखाया है। यूएन द्वारा पर्यावरण के संरक्षण के लिए वर्ष 2022 में वन दिवस की ‘फ़ॉरेस्ट एण्ड सस्टेनेबल प्रोडक्शन एण्ड कंज़म्पशन’ थीम निर्धारित की गई है।
उन्होने कहा कि गुजरात में वनों के पालन-पोषण-संवर्द्धन के लिए सहकारी मंडलियों स्वयंसहायता समूहों एवं वन मंडलियों द्वारा सामाजिक वनीकरण की अनेक परियोजनाएँ चलाई जाती हैं। गुजरात में 75वें वन महोत्सव में नए 10 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प भी लिया गया है।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री जगदीशभाई पंचाल ने कहा कि गुजरात में नवीन वनों के पालन-पोषण के लिए वर्ष 2004 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी द्वारा गांधीनगर में प्रथम सांस्कृतिक पुनित वन की स्थापना की गई थी। आज गुजरात के विभिन्न ज़िलों में कुल 21 सांस्कृतिक वनों का निर्माण किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अत्याधुनिक सेंट्रलाइज़्ड कंट्रोल रूम तथा फ़ॉरेस्ट हेल्पलाइन नंबर 1926 का शुभारंभ कराया। उन्होंने ‘नमो वडन वन’ पुस्तिका का अनावरण भी किया। अतिरिक्त मुख्य वन एवं पर्यावरण सचिव अरुणकुमार सोलंकी ने स्वागत भाषण, जबकि प्रधान मुख्य वन संरक्षक राम कुमार व हेड ऑफ़ फ़ॉरेस्ट फ़ोर्स डॉ. दिनेशकुमार शर्मा ने आभार ज्ञापन किया।
‘नमो वड वन’ के वटवृक्ष बुवाई अभियान के इस शुभारंभ अवसर पर वन मंत्री किरीटसिंह राणा, वन राज्य मंत्री जगदीश विश्वकर्मा, मुख्य सचिव पंकज कुमार, अतिरिक्त मुख्य वन एवं पर्यावरण सचिव अरुणकुमार सोलंकी, हेड ऑफ़ फ़ॉरेस्ट फ़ोर्स दिनेशकुमार शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राम कुमार तथा वरिष्ठ वन अधिकारी भी उपस्थित रहे।
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