कोरोना के बाद भले ही ट्रेन सुविधा हो गयी है शुरू पर इस बड़ी समस्या से जूझ रहे है रोजाना के यात्री

कोरोना के बाद भले ही ट्रेन सुविधा हो गयी है शुरू पर इस बड़ी समस्या से जूझ रहे है रोजाना के यात्री

रोज रोज टिकट के चक्कर में पड़ने से बेहतर पेनल्टी भरना, सयाजी जैसी ट्रेनों में पास की सुविधा शुरू नहीं

कोरोना के संक्रमण के नहीवत होने के साथ ही जिन्दगी को सामान्य रूप देने की कोशिश शुरू कर दी गई है। कोरोना की तीसरी लहर के दौरान लगाये गये प्रतिबंधों को हटा लिया गया है। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन सेवा बहाल कर दी गई। साथ ही ट्रेनों पर से प्रतिबंध भी हटा लिया गया है। हालांकि इन सबके बाद भी कारोबार के सिलसिले में रोज ऊपर-नीचे जाने वाले यात्रियों की दुर्दशा दूर नहीं हुई है।  
मुंबई के बांद्रा और कच्छभुज के बीच चलने वाली सयाजीनगरी ट्रेन को सामान्य रूप से बहाल कर दिया गया है। इसके बाद भी सयाजीनगर एक्सप्रेस ट्रेन में रोज़मर्रा के यात्रियों के लिए टिकट और सीज़न पास की सुविधा फिर से शुरू नहीं करने पर रोजाना हजारों की संख्या में यात्रियों को परेशानी हो रही है।  ऐसे में रोजाना यात्रियों को आंदोलन के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
बता दें कि पहले ही सूरत से उमरगाम के दैनिक यात्रियों के लिए एक तो ट्रेनों की सुविधा पर्याप्त नहीं है, साथ ही कई नियम हैं। कोरोना से पहले हर लोकल-शटल एक्सप्रेस ट्रेन का एक ट्रेन टिकट और एक सीजन पास होता था जो उस रेलवे स्टेशन पर मिलता था, लेकिन कोरोना काल में ज्यादातर ट्रेनों में सुपरफास्ट लेबल लगाकर सीजन पास की सुविधा समाप्त कर दी गई। इतना ही नहीं स्टेशन पर से टिकेट की भी सुविधा बंद कर दी गई।
हालांकि कोरोना के संक्रमण के कम होने के साथ उपयोगी ट्रेनों की सुविधा शुरू कर दिया गया। जिसमें से गुजरात एक्सप्रेस, फ्लाइंग रानी ट्रेनों में पास और टिकट स्वीकृत हो चुके हैं लेकिन सयाजीनगरी एक्सप्रेस में पास टिकट अभी तक स्वीकृत नहीं हुए हैं। ऐसे में  रोजाना यात्रियों को बिना टिकट ट्रेन से सफर करना पड़ रहा है।  और इसका फायदा टिकट चेकर को हो रहा है। दैनिक यात्रियों के लिए, रोज रोज टिकेट लेने से बेहतर चेकर को दंड राशी देना सुविधाजनक लगता है।  अगर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो पास होल्डर्स एसोसिएशन गांधी की तरह आंदोलन शुरू करने की तैयारी कर रही है।