जूनागढ़: अपनी मेहनत से बदली खेती की दशा, जैविक खेती से लाखों कमा रही हैं भावनाबेन

जूनागढ़: अपनी मेहनत से बदली खेती की दशा, जैविक खेती से लाखों कमा रही हैं भावनाबेन

कुल 20 बीघा जमीन पर जैविक खेती के सहारे अन्य महिलायों को दे रही हैं रोजगार

(Photo Credit : divyabhaskar.co.in)
आज के समय में तकनीक और तौर तरीकों के कारण हर काम का ढंग बदलता जा रहा है। ऐसे में सोरथ की एक महिला किसान ने बदलते समय के साथ खेती और पशुपालन के तौर-तरीकों को बदलने में कामयाबी हासिल की है। इसके साथ ये साबित कर दिया कि एक महिला किसान भी आधुनिक तरीकों को अपना कर प्रगतिशील हो सकती है। जानकारी के अनुसार जूनागढ़ के कोयली गांव की भावनाबेन त्रंबड़िया हर साल जैविक खेती कर हजारों नहीं लाखों कमा रही हैं। सिर्फ 12वीं तक की ही पढ़ाई करने वाली भावनाबेन की सूझ-बूझ ऐसी है कि वो पढ़े-लिखे लोगों को भी पीछे छोड़ देती हैं। 
जानकारी के अनुसार प्रारंभिक अवस्था में उचित मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के साथ जैविक खेती शुरू की। हालांकि उन्हें पहले दो वर्षों में भारी नुकसान झेलना पड़ा पर इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। वर्तमान में वे कुल 20 बीघा भूमि जिसमें से 10 बीघा खुद का और 10 बीघा किराए पर लेकर जैविक खेती कर रही हैं। उनके पास 37 गाय भी हैं। वो प्रतिदिन औसतन 120 लीटर दूध बेचने के अलावा, दही, छाछ और घी सहित अन्य दुग्ध उत्पाद भी बेचती है। वे विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्मित जैविक सामान भी बेचती हैं। इस तरह भावनाबेन हर महीने औसतन एक लाख रुपये तक कमा लेती हैं। उन्हें एक प्रगतिशील महिला किसान के रूप में कई पुरस्कार भी मिले हैं।
आपको बता दें कि एक प्रगतिशील महिला किसान भावनाबेन घर पर गायों के होने से दूध के बहुत से उत्पाद के साथ साथ अन्य घरेलु उत्पाद बनाती और बेचती हैं। साबुन, शैंपू, तेल, बाम, एसिडिटी और गैस के लिए फाकी, अगरबत्ती, गोबर का दीपक समेत 23 जैविक उत्पाद तैयार कर ग्राहकों तक पहुंचाए जाते हैं। अहमदाबाद और गांधीनगर के ग्राहक भी सेहत के लिए लाभदायक इन सामानों को मंगवाते हैं।
महिला किसान खेत में उत्पादित हर चीज सीधे उपभोक्ताओं को बेचती है। जिससे भाव बाजार से बेहतर रहते हैं। इसके लिए भावनाबेन जूनागढ़ में कामधेनु ऑर्गेनिक मॉल चलाती हैं। जिसमें वे अपने सभी उत्पाद बेचते हैं। अपनी मेहनत के दम पर खेती में सफल रहे भावनाबेन ने अपने दो बेटों को भी इस धंधे में शामिल कर लिया है. मास्टर डिग्री हासिल करने वाले दोनों बेटों ने अपनी अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़ दी है और अब माँ के साथ खेती और पशुपालन में लग गये।
आपको बता दें कि भावनाबेन अपने साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। भावनाबेन ने 8 महिलाओं को अपने खुद के विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए नौकरी दी है। वे इन महिलाओं को उचित मार्गदर्शन देकर अधिक से अधिक महिलाओं को इस व्यवसाय में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। भावनाबेन का कहना है कि महिलाओं को खेती में शामिल होना चाहिए।
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