अगस्त महीने से गुजरात में बनेंगे हर महीने 2 करोड़ वैक्सीन मटीरियल, राज्य और देश भर में बढ़ेगी वैक्सीन की उपलब्धता

अगस्त महीने से गुजरात में बनेंगे हर महीने 2 करोड़ वैक्सीन मटीरियल, राज्य और देश भर में बढ़ेगी वैक्सीन की उपलब्धता

गुजरात बायोटेक्नोलोजी ने किए वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक के साथ MoU

आने वाले समय में वैक्सीन के उत्पादन में गुजरात काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। गुजरात के बायोटेक्नोलोजी रिसर्च सेंटर ने अन्य दो संगठनों के साथ मिलकर को-वैक्सीन के जरूरी ड्रग-सब्सटेन्स का उत्पादन करने के लिए MoU कर लिए है। यदि सबकुछ सही रहा तो अगस्त महीने से हर महीने 2 करोड़ वैक्सीन के लिए जरूरी मटीरियल बनाया जाएगा। भारत सरकार ने समग्र प्रक्रिया को पूर्ण सहयोग के साथ समर्थन दिया है। यही नहीं भारत सरकार के बायोटेक्नोलोजी विभाग ने भी पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने में महत्व की भूमिका निभाई थी। यदि ऐसा होता है तो जल्द ही गुजरात और देश के अन्य नागरिकों के लिए अधिक वैक्सीन उपलब्ध हो सकेगे। 
गुजरात और समग्र देश में बढ़ रही वैक्सीन की मांग को पूरा करने के लिए गुजरात सरकार का गुजरात बायोटेक्नोलोजी रिसर्च सेंटर काफी महत्व की भूमिका निभा सकता है। मुख्यमंत्री विजय रूपानी के मार्गदर्शन के अंदर गुजरात बायोटेक्नोलोजी रिसर्च सेंटर, हेस्टर बायोसायंसिज लिमिटेड और ओमनीBRx टेक्नोलोजिस के साथ मिलकर गुजरात में वैक्सीन के लिए जरूरी ड्रग मटीरियल बनाने के लिए वैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक लिमिटेड के साथ MoU कर लिए है। मुख्यमंत्री ने कहा की गुजरात को-वैक्सीन के उत्पादन में जरूरी ड्रग मटीरियल का उत्पादन कर भारत भर में वैक्सीन के उत्पादन और विस्तरण में अपना योगदान देगा।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी

मुख्यमंत्री ने कहा, वैक्सीन उत्पादन कागी जटिल प्रक्रिया है। इसलिए वह काफी नियंत्रित मात्रा में होता अहि। ऐसे में यदि सबकुछ सही चला तो अगस्त 2021 से गुजरात में ही 20 मिलियन वैक्सीन डोज़ के लिए जरूरी मटीरियल का निर्माण हो सकेगा। जिसके कारण गुजरात और भारत भर में नागरिकों को वैक्सीन मिल सकेगी। उल्लेखनीय है की गुजरात बायोटेकनोंलोजी रिसर्च सेंटर ने कोरोना वायरस के संदर्भ में विभिन्न संशोधन किए है। कोरोना वायरस की उत्पत्ति, उत्क्रांति, वायरस की असरकारकता और वैक्सीनेशन के निर्माण के लिए भी इस संस्था ने जीनोम सिकवनसिंग प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। अप्रैल 2020 में यह संस्था जीनोम सिकवनसिंग करने वाली भारत की दूसरी लेब बनी थी।