आणंद : म्युजिक थैरापी से गायों की देखभाल करते हैं जयेश पटेल, जानें क्या हैं लाभ

आणंद : म्युजिक थैरापी से गायों की देखभाल करते हैं जयेश पटेल, जानें क्या हैं लाभ

साल में बेचते है 18 से 19 लाख का दूध, ओर्गेनिक खेती का करते है उपयोग

आप सभी ने म्यूजिक थैरापी के बारे में तो सुना ही होगा। मन की शांति का अनुभव करवाने वाले इस थैरापी का उपयोग आणंद के किसान जयेश पटेल कुछ अलग तरह से ही करते है। जयेश पटेल को पशुपालन के विज्ञानी के तौर पर माना जाता है। वह जानवरों की हर समस्याओं को विज्ञान की दृष्टि से ही देखते है। पिछले 17 सालों से वह एचएफ़ औलाद की गायों के दूध की बिक्री करते है और साथ में खेती करते है। 
संगीत थैरापी का उपयोग करके करते है पशुपालन
उन्होंने अपनी 15 गायों पर संगीत के प्रयोग किए है। उनका कहना है की गायों को दूध देते वक्त संगीत सुनवाने के कारण वह बिना किसी तनाव के दूध देते है। इस तरह से 24 घंटे में वह 240 से 260 लीटर दूध दे देते है। 
इस्तेमाल करते है कुछ खास तरीके, आप भी जानिए
जयेश पटेल के मुताबिक गाय से दूध निकलते वक्त यदि उसे संगीत सुनवाया जाए तो कई फायदे हो सकते है। आइये जानते है जयेश के कुछ नुस्ख जो की पशुपालन में काफी फायदेकारक हो सकते है। 
- संगीत सुनने से ब्लडसर्क्युलेशन में फायदा होता है। दूध निकलते वक्त वह शांत हो जाती है और उसे आनंद मिलता है। गाय का एंटीबॉडी लॉस भी कम होता है। 
- जयेश के पास 15 गाय है। उन्होंने एक अलग यूनिट बनाकर नई ब्रीड डेवलप करते है और हर साल 5-6 गाय बेचते है। हवामान में बदलाव हो या क्लाइमेट इफेक्ट के कारण दूध का उत्पादन घटता है।
- गायों का ख्याल रखने के लिए वह उन्हें आंवला का पावडर देते है। जिससे उनकी ऊर्जा बढ़ती है और उनका वजन कम नहीं होता। इसके अलावा वह गाय के एसिडिटी के बेकटेरिया को बढ्ने नहीं देता। वह गायों के बैठने के लिए ड्राय बेड बनाते है। गरमी में कुलिंग के लिए पंखे का इस्तेमाल करते है। 
- जयेश स्थानीय लोगों को अपनी गायों का दूध बेचते है। गाँव के लोग 45 रुपए से एक लीटर दूध लेते है। जयेश का कहना है की वह साल में 18 से 19 लाख का दूध उत्पादित करते है। हालांकि इसमें कितना खर्च होता है यह वह नहीं बताते है। पर उनका कहना है की सबसे ज्यादा खर्च लेबर में होता है। जितना वह खुद से काम करे उतना ज्यादा फायदा होता है। 
- जयेश पटेल खुद ही गायों के लिए खाने की व्यवस्था करता है। बाहर से मिलने वाले खाने पर उन्हें भरोसा नहीं रहता। जयेश का मानना है की गाय को किस चीज की कितनी जरूरत है वह सिर्फ उसके मालिक को ही पता होता है। इसलिए वह गायों के लिए मकके का बना हरा चारा बनाते है। 
- जयेश गायों की अलग अलग ब्रीड डेवलप करते है। जिससे की हर साल नई जनरेशन उनके यूनिट मे रहती है। इससे उनका फर्टिलिटी रेट कम नहीं होता और दूध का उत्पादन भी ज्यादा रहता है। इसके अलावा गाय का मेंटेनन्स भी कम आता है। 
- जयेश खेती में गोबर का इस्तेमाल करते है। पर अधिक गोबर भी नुकसान करता है। जमीन में यदि पीएच लेवल मेंटेन ना हो तो गोबर किसी काम का नहीं रहता। इसका पावडर बनाकर उसका खाद बनाया जा सकता है। इसके अलावा बेकटेरिया भी बढ़ते है। ओर्गेनिक खाद के अलावा गोबर में से अगरबत्ती, साबुन और दिये बनाए जा सकते है। 
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