इसरो के ‘बाहुबली’ प्रक्षेपण यान ने 6,000 किलोग्राम वजनी अमेरिकी उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश), 24 दिसंबर (भाषा) क्रिसमस से पहले, एक ऐतिहासिक मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘एलवीएम-3 एम6’ ने एक अमेरिकी संचार उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में बुधवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया जिसे अंतरिक्ष एजेंसी प्रमुख ने देश के लिए तोहफा करार दिया।
प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 एम6 ने 6,100 किलोग्राम वजनी ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ मिशन का उद्देश्य उपग्रह के जरिए सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है। यह नेटवर्क कहीं भी, कभी भी, सभी के लिए 4जी और 5जी वॉयस-वीडियो कॉल, संदेश, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराएगा।
प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 एम6 को अत्यधिक भार ले जाने की उसकी क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ नाम भी दिया गया है। इसरो ने कहा कि ‘एलवीएम3-एम6’ ने सटीक प्रक्षेपण प्रक्रिया के तहत उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया।
यह मिशन ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआईएल) और अमेरिका स्थित एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए वाणिज्यिक समझौते के तहत संचालित किया गया। एनएसआईएल, इसरो की वाणिज्यिक इकाई है।
चौबीस घंटे की उल्टी गिनती पूरी होने के बाद दो एस-200 ठोस बूस्टर से युक्त 43.5 मीटर लंबा यान चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर पूर्व स्थित इस अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण ‘पैड’ से सुबह आठ बजकर 55 मिनट पर रवाना हुआ। करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ प्रक्षेपण यान से अलग हो गया और इसे सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर दिया गया जिसके बाद यहां मिशन नियंत्रण केंद्र तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस सफल प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि एलवीएम-3 एम-6 ‘बाहुबली’ प्रक्षेपण यान ने ‘ब्लूबर्ड-ब्लॉक 2’ उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। मैं इस उत्कृष्ट उपलब्धि पर न्यू स्पेस इंडिया और एएसटी स्पेसमोबाइल को बधाई देता हूं।’’
उन्होंने कहा कि उपग्रह को नियोजित 520 किलोमीटर ऊंचाई के मुकाबले 518 किलोमीटर की वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया।
उन्होंने कहा कि एलवीएम-3 प्रक्षेपण यान ने अपनी 100 प्रतिशत सफलता दर का प्रदर्शन किया है।
इसरो ने बताया कि 6,100 किलोग्राम वजनी यह संचार उपग्रह एलवीएम3 के प्रक्षेपण इतिहास में पृथ्वी की निम्न कक्षा (एलईओ) में भारतीय धरती से स्थापित किया जाने वाला अब तक सबसे भारी पेलोड है।
इससे पहले सबसे भारी पेलोड एलवीएम3-एम5 संचार उपग्रह-03 था, जिसका वजन करीब 4,400 किलोग्राम था और जिसे इसरो ने दो नवंबर को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
नारायणन के अनुसार, इसरो ने दो नवंबर को सफल ‘एम-5’ मिशन के बाद महज 52 दिनों के भीतर दो एलवीएम-3 प्रक्षेपण यानों का प्रक्षेपण पहली बार किया है।
उन्होंने मिशन नियंत्रण केंद्र से अपनी टीम को संबोधित करते हुए उन्हें इस बेहतरीन प्रदर्शन के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि इस मिशन के साथ भारत ने 34 देशों के लिए कुल 434 उपग्रह प्रक्षेपित कर दिए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कड़ी मेहनत का पुरस्कार और अधिक काम होता है तथा हमारे पास कई कार्यक्रम हैं।’’
इसरो के अध्यक्ष ने ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की सराहना करते हुए इसे ‘‘नववर्ष और क्रिसमस का भारत को उपहार’’ बताया। उन्होंने इसे उपलब्धियों से भरा वर्ष बताया और निसार (नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार) मिशन, सीएमएस-03 और ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ जैसे महत्वपूर्ण मिशन का जिक्र किया।
उन्होंने महत्वाकांक्षी ‘गगनयान’ मिशन के बारे में कहा, ‘‘हमें मानवरहित मिशन पूरे करने हैं और हम उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।’’
नारायणन अंतरिक्ष विभाग के सचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक समूह पूरी तरह तैयार है और भारतीय स्टार्टअप का एक और प्रक्षेपण कुछ ही सप्ताह में निर्धारित है।
उन्होंने कहा कि छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यानों (एसएसएलवी) का विकास चरण पहले ही पूरा हो चुका है और ‘‘हम एसएसएलवी के परिचालन चरण को शुरू करने जा रहे हैं।’’
केंद्र सरकार की प्रमुख प्रतिबद्धताओं में से एक प्रतिबद्धता नेविगेशन उपग्रहों को स्थापित करना है।
उन्होंने कहा, ‘‘उपग्रहों की उस श्रृंखला को हम जारी रख रहे हैं और हम उन्हें उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित करना शुरू करेंगे।’’
‘एलवीएम-3 एम-6’ मिशन का उद्देश्य अगली पीढ़ी का ऐसा संचार उपग्रह स्थापित करना है जिसे दुनिया भर में स्मार्टफोन को सीधे उच्च गति वाली सेल्युलर ब्रॉडबैंड सेवा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
एएसटी स्पेसमोबाइल पहला और एकमात्र अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क बना रहा है जो सीधे स्मार्टफोन के माध्यम से सुलभ होगा और इसे वाणिज्यिक एवं सरकारी दोनों ऐप्लीकेशन के लिए डिजाइन किया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, एमवीएम3 तीन चरण वाला प्रक्षेपण यान है जिसमें क्रायोजेनिक इंजन लगा है। इसे इसरो के ‘लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर’ ने विकसित किया है।
प्रक्षेपण के लिए आवश्यक अत्यधिक 'थ्रस्ट' प्रदान करने के लिए इस प्रक्षेपण यान में दो एस200 ठोस रॉकेट बूस्टर लगाए गए हैं जिन्हें तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने विकसित किया है।
एएसटी स्पेसमोबाइल ने सितंबर 2024 में ब्लूबर्ड-1 से 5 तक पांच उपग्रह प्रक्षेपित किए थे जो अमेरिका और कुछ अन्य देशों में निरंतर इंटरनेट कवरेज प्रदान कर रहे हैं। कंपनी ने अपने नेटवर्क को मजबूत करने के लिए ऐसे और उपग्रह प्रक्षेपित करने की योजना बनाई है और दुनिया भर के 50 से अधिक मोबाइल ऑपरेटर के साथ साझेदारी की है।
