अमेरिका को भारत से मिला अब तक का 'सबसे अच्छा' प्रस्ताव, व्यापार वार्ता शुरू
नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जेमीसन ग्रीयर ने कहा है कि प्रस्तावित व्यापार समझौते पर भारत से 'अब तक के सबसे अच्छे' प्रस्ताव मिले हैं। यह बयान दोनों देशों के बीच दो-दिवसीय वार्ता यहां शुरू होने के बीच आया है।
ग्रीयर ने वाशिंगटन में मंगलवार को सीनेट की विनियोग उपसमिति की सुनवाई में कहा कि भारत में कुछ 'रो क्रॉप्स' और अन्य मांस उत्पादों को लेकर प्रतिरोध है। अमेरिका में 'रो क्रॉप्स' की श्रेणी में मक्का, सोयाबीन, गेहूं और कपास को शामिल किया जाता है।
उन्होंने कहा, ''ये एक कठिन मुद्दा रहा है... लेकिन वे काफी सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं… जिस तरह के प्रस्ताव वे हमें दे रहे हैं… वे अब तक किसी भी देश से मिले सबसे बेहतर प्रस्ताव हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यह हमारे लिए एक व्यावहारिक वैकल्पिक बाजार हो सकता है।''
ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दोनों पक्ष प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण को अंतिम रूप देने की कोशिश में हैं। अमेरिकी दल व्यापार वार्ता के लिए इस समय भारत में है।
दोनों देशों के बीच यहां शुरू हुई दो-दिवसीय वार्ता एक परस्पर लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए हो रही है। वार्ता के पहले दिन वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने अमेरिका के उप व्यापार प्रतिनिधि रिक स्विट्जर से मुलाकात की।
वाणिज्य विभाग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ''दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका व्यापार एवं आर्थिक संबंधों से जुड़े मामलों पर विचार-विमर्श किया। इसमें एक पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत भी शामिल है।''
यह वार्ता 11 दिसंबर को खत्म होगी। यह बातचीत इस लिहाज से अहम है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी बाजारों में प्रवेश करने वाले भारतीय उत्पादों पर अगस्त से ही 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगा दिया है।
इसके बाद द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत भी पटरी से उतर गई। हालांकि शीर्ष नेतृत्व की पहल से यह फिर से शुरू हो गई, लेकिन अभी तक समझौते के शुरुआती चरण को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
भारतीय उद्योग और निर्यातक इस बातचीत के नतीजों और किसी समझौते की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि ऊंचे आयात शुल्क अमेरिका को होने वाले उनके निर्यात को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
