बिहार चुनाव में भ्रामक प्रचार के लिए एआई आधारित टूल का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए: निर्वाचन आयोग

बिहार चुनाव में भ्रामक प्रचार के लिए एआई आधारित टूल का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए: निर्वाचन आयोग

नयी दिल्ली/पटना, नौ अक्टूबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को हिदायत दी है कि बिहार विधानसभा चुनाव में ‘डीपफेक’ बनाने या सूचना को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित सामग्री का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

आयोग ने यह हिदायत उस वक्त दी है जब बिहार में आदर्श आचार संहिता लागू है और शुक्रवार को पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने वाली है। बिहार में छह और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को होगी।

निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधान इंटरनेट और सोशल मीडिया पर डाले जाने वाले सभी प्रचार-सामग्री पर भी लागू होते हैं। आयोग ने स्पष्ट किया कि अन्य दलों या उम्मीदवारों की आलोचना उनके नीतिगत रुख, कार्यक्रमों, कार्यों और पिछले रिकॉर्ड तक ही सीमित रहनी चाहिए।

उसका कहना है कि अगर कोई दल या उम्मीदवार अपने प्रचार में एआई-जनित, डिजिटल रूप से परिवर्तित या कृत्रिम सामग्री का उपयोग करता है, तो उसे स्पष्ट करना होगा कि उसकी सामग्री ‘‘एआई जेनरेटेड’’, ‘‘डिजिटली एन्हैंस्ड’’ या ‘‘सिंथेटिक कंटेंट’’ से संबंधित है।

आयोग ने कहा, ‘‘दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना अपुष्ट आरोपों के आधार पर नहीं की जानी चाहिए या तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं किया जाना चाहिए।’’

निर्वाचन आयोग ने सभी दलों को आगाह किया कि “एआई” तकनीक का उपयोग कर “डीपफेक” या भ्रामक वीडियो तैयार करना और उन्हें सोशल मीडिया के जरिये प्रसारित करना निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकता है। आयोग ने कहा कि चुनावी अखंडता की रक्षा के लिए ऐसे प्रयासों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है।

आयोग ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है, ताकि चुनावी माहौल को दूषित होने से रोका जा सके। आयोग के अनुसार, किसी भी उल्लंघन की स्थिति में संबंधित दल या उम्मीदवार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग ने गलत सूचना का प्रसार रोकने के लिए एआई के दुरुपयोग के खिलाफ पार्टियों के लिए कुछ निर्देश जारी किए थे।

चुनाव प्रचार में एआई के बढ़ते उपयोग और मतदाताओं की राय को प्रभावित करने की इसकी क्षमता के मद्देनजर आयोग ने इस साल जनवरी में राजनीतिक दलों को एक परामर्श जारी किया था, जिसमें उनसे एआई-जनित सामग्री के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए कहा गया था।

परामर्श के कारण पार्टियों को एआई प्रौद्योगिकियों द्वारा तैयार या व्यापक रूप से परिवर्तित किसी भी छवि, वीडियो, ऑडियो या अन्य सामग्री को "एआई-जेनरेटेड" / "डिजिटली एन्हांस्ड" / "सिंथेटिक सामग्री" के लेबल के साथ स्पष्ट जानकारी देने की आवश्यकता होती है।

राजनीतिक दलों को उन प्रचार विज्ञापनों या प्रचार सामग्री के प्रसार के दौरान स्पष्ट करने की भी आवश्यकता होती है, जहां भी ‘सिंथेटिक’ सामग्री का उपयोग किया जाता है।