सूरत : भारत-जापान ने सूरत में बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा की; जापानी मंत्री ने किया वंदे भारत में सफर
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और हिरोमासा नाकानो ने हाई-स्पीड ट्रैक स्लैब बिछाने के काम का निरीक्षण किया
सूरत। केन्द्रिय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और जापान के परिवहन मंत्री हिरोमासा नाकानो ने आगामी बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा के लिए शुक्रवार को सूरत में हाई-स्पीड रेल निर्माण स्थल का दौरा किया। मंत्रियों ने ट्रैक स्लैब बिछाने वाली कार और ट्रैक स्लैब समायोजन सुविधा समेत परियोजना के प्रमुख घटकों की समीक्षा की।
रेल मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा भारत के पहले हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर को अमलीजामा पहनाने में भारत और जापान के बीच मजबूत सहयोग को दर्शाती है। मंत्रालय ने कहा है, दोनों मंत्रियों ने गुणवत्ता मानकों के पालन पर संतोष व्यक्त किया तथा निर्माण की तीव्र गति की सराहना की।
‘नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (एनएचएसआरसीएल) भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना को हकीकत का रूप देने में जुटा है। उसका कहना है कि 508 किलोमीटर लंबा मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर महाराष्ट्र और गुजरात के बीच तीव्र संपर्क प्रदान करेगा।
एनएचएसआरसीएल के अधिकारी ने कहा, महाराष्ट्र के बांद्रा कुर्ला परिसर (बीकेसी) क्षेत्र से शुरू होने के बाद, 320 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने वाली हाई-स्पीड ट्रेन इस क्षेत्र में अंतर-शहर यात्रा में क्रांति लाएगी तथा मुंबई, वापी, सूरत, आनंद, वडोदरा और अहमदाबाद की अर्थव्यवस्थाओं को आपस में जोड़ेगी।
उन्होंने कहा, यह मार्ग बोईसर, भरूच और अंकलेश्वर जैसे औद्योगिक शहरों और आगामी वधावन बंदरगाह (बोईसर स्टेशन के माध्यम से) को हाई-स्पीड रेल संपर्क प्रदान करेगा। बुलेट ट्रेन बीच में 10 शहरों--ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद में रुकेगी और साबरमती उसका आखिरी पड़ाव होगा।
रेल मंत्रालय ने कहा कि पूरी यात्रा सीमित ठहरावों (सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद) के साथ लगभग दो घंटे सात मिनट में पूरी हो जाएगी, जो पारंपरिक ट्रेनों या सड़क यात्रा से लगने वाले समय से काफी कम है।
रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि पूरी बुलेट ट्रेन परियोजना 2029 के अंत तक पूरी हो जाएगी। स्थल पर निर्माण कार्य की प्रगति का निरीक्षण करने के बाद, दोनों मंत्रियों ने कार्य की गुणवत्ता और परियोजना की तीव्र गति पर गहरा संतोष व्यक्त किया। उन्होंने निर्माण की तीव्र गति की सराहना की, जो दर्शाता है कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरी होने की ओर अग्रसर है।
यह उच्च-स्तरीय यात्रा भारत और जापान के बीच मजबूत और घनिष्ठ सहयोग को और मजबूत करती है। भारत की पहली एचएसआर परियोजना की सफल प्रगति में जापानी शिंकानसेन तकनीक और विशेषज्ञता का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। यह यात्रा इस परियोजना को विश्व स्तरीय मानकों के अनुसार पूरा करने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। यह बुलेट ट्रेन परियोजना भारत में परिवहन को बदलने के लिए तैयार है।
जापानी मंत्री हिरोमासा नाकानो विमान से सूरत पहुँचे। इसके बाद, सूरत बुलेट ट्रेन परियोजना के कार्यों का निरीक्षण करने के बाद, जापानी मंत्री हिरोमासा नाकानो देश के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होकर रवाना हुए। उन्हें वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के अंदर चल रहे कार्यों की भी जानकारी दी गई।
गौरतलब है कि नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन (NHRSCL) ने बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर वंदे भारत ट्रेनों के लिए सिग्नलिंग सिस्टम हेतु निविदा जारी की थी। इन वंदे भारत ट्रेनों को भारत की स्वदेशी बुलेट ट्रेनों के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारत की पहली बुलेट ट्रेन महाराष्ट्र के मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड कॉरिडोर पर चलनी है।
लेकिन जापानी शिंकानसेन बुलेट ट्रेन खरीदने का सौदा काफी समय से टल रहा है। ऐसे में रेल मंत्रालय ने एक फैसला लिया है। मंत्रालय ने एक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए निविदाएँ आमंत्रित की हैं जिससे वंदे भारत ट्रेनें इस कॉरिडोर पर अधिकतम 280 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी। ऐसे में जब तक शिंकानसेन ट्रेनें भारत नहीं आ जातीं, तब तक इस सेक्शन पर हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा सकती हैं।