शहरी उपभोग आंकड़ों से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति मेंः मुख्य आर्थिक सलाहकार
कोलकाता, 18 सितंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि भले ही आंकड़ों में शहरी मांग में कमजोरी दिख रही है लेकिन वास्तविकता इससे कहीं बेहतर है।
उन्होंने कहा कि यूपीआई के जरिये होने वाले लेनदेन की संख्या और छोटे उद्यमों पर खर्च में बढ़ोतरी उपभोग की मजबूती को दर्शाती है।
नागेश्वरन ने उद्योग मंडल ‘मर्चेंट चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि खर्च का रुझान गैर-सूचीबद्ध कंपनियों और छोटे कारोबारों की तरफ बढ़ा है, जो आंकड़ों में पूरी तरह प्रतिबिंबित नहीं होता है।
उन्होंने कहा, ‘‘सतह के स्तर पर भले ही शहरी मांग कमजोर दिखती है, लेकिन वास्तविक उपभोग हमारी सोच से कहीं अधिक टिकाऊ है।’’
उन्होंने अपने इस दावे के समर्थन में रेस्तरां, बेकरी एवं उपयोगिता खंडों के भीतर पिछले 13 महीनों में यूपीआई लेनदेन सालाना आधार पर दहाई अंक में बढ़ने का जिक्र भी किया।
नागेश्वरन ने बताया कि कर कटौती, जीएसटी रियायतें, रोजगार प्रोत्साहन और कम खाद्य मुद्रास्फीति ने शहरी उपभोग को सहारा दिया है।
इसके साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि ग्रामीण मांग भी वेतन वृद्धि, अधिक फसल बुवाई और ट्रैक्टर एवं दोपहिया वाहनों की मजबूत बिक्री के चलते बेहतर स्थिति में है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को बैंक ऋण अच्छे स्तर पर है और पिछले छह साल में पूंजी बाजार से संसाधन जुटाने में 28.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है।
नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जिसमें ऊपरी स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वैश्विक व्यापार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यात पर शुल्क वृद्धि के प्रभाव को लेकर चिंता है, हालांकि अगले कुछ महीनों में समाधान की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि यदि यह मुद्दा वित्त वर्ष 2025-26 से आगे भी बना रहता है तो देश की वृद्धि पर असर पड़ सकता है।
नागेश्वरन ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद देश का वार्षिक वस्तु एवं सेवा निर्यात 850 अरब डॉलर के करीब है और एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की दिशा में अग्रसर है।