निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही 25,000 करोड़ रुपये की सहायता योजना पर विचार

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार कर रही 25,000 करोड़ रुपये की सहायता योजना पर विचार

नई दिल्ली, 24 अगस्त (वेब वार्ता)। केंद्र सरकार बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत वर्ष 2025 से 2031 तक के लिए निर्यातकों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करने वाले उपायों पर विचार कर रही है।

सूत्रों ने बताया, ‘‘इस प्रोत्साहन का मुख्य उद्देश्य निर्यातकों को आसान और किफायती ऋण उपलब्ध कराना है।’’वाणिज्य मंत्रालय ने यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (ईएफसी)के पास भेजा है।

यदि इन उपायों को मंजूरी मिल जाती है, तो ये भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न होने वाली वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। ईएफसी से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद वाणिज्य मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क करेगा।

प्रस्तावित मिशन का उद्देश्य अगले छह वर्षों (वित्त वर्ष 2025-31) में व्यापक, समावेशी और टिकाऊ निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देना है। इसके तहत पारंपरिक तरीकों से आगे जाकर उन प्रमुख बाधाओं को दूर करने के नए उपाय खोजे जाएंगे, जिनका सामना भारतीय निर्यातक खासकर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, इस मिशन को दो उप-योजनाओं के जरिए लागू करने का प्रस्ताव है जिसमें ‘निर्यात प्रोत्साहन’ (10,000 करोड़ रुपये से अधिक) और ‘निर्यात दिशा’ (14,500 करोड़ रुपये से अधिक) शामिल हैं।

सरकार ‘निर्यात प्रोत्साहन’ योजना के तहत जिन मुख्य बातों पर विचार कर रही है, उनमें अगले छह वित्त वर्षों (2025-2031) के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज समानीकरण समर्थन शामिल है।

इसके अलावा, योजना में वैकल्पिक व्यापार वित्त साधनों को बढ़ावा देना, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराना और निर्यातकों के सामने आने वाली नकदी की कमी को दूर करने के लिए अन्य वित्तीय व्यवस्थाएं करना भी शामिल है।

इसी तरह, ‘निर्यात दिशा’ योजना के तहत प्रस्तावित घटकों में निर्यात की गुणवत्ता मानकों के पालन के लिए समर्थन (लगभग 4,000 करोड़ रुपये), विदेशी बाजारों के विकास (4,000 करोड़ रुपये से अधिक), ब्रांडिंग, निर्यात के लिए भंडारण और लॉजिस्टिक, तथा अधिक से अधिक भारतीय उद्यमों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने के लिए क्षमता निर्माण शामिल है।

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