सूरत बना देश का पहला स्मार्ट टेक्नोलॉजी-इनेबल्ड नगर निगम, 18 सुमन स्कूलों में शुरू हुई AI, रोबोटिक्स और AR/VR शिक्षा
12 स्कूलों में AI लैब्स का उद्घाटन, 11,000 से अधिक छात्रों को मिल रही नि:शुल्क टेक एजुकेशन; बच्चों को बना रहे हैं जॉब सीकर नहीं, जॉब गिवर
समय के साथ कदम से कदम मिलाते हुए गुजरात का शिक्षा क्षेत्र आधुनिक तकनीकों की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है। इसी क्रम में सूरत नगर निगम ने जनवरी 2025 से सुमन स्कूलों (कक्षा 9 से 12) में 3D, AR/VR, AI, रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी आधारित शिक्षा की शुरुआत की है। इस पहल के तहत सूरत देश का पहला नगर निगम बन गया है, जो स्मार्ट टेक्नोलॉजी को स्कूली पाठ्यक्रम से जोड़ रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में 18 सुमन स्कूलों में AI, रोबोटिक्स और ड्रोन तकनीक को शामिल किया गया है। 12 स्कूलों में स्थापित AI लैब्स के माध्यम से अब तक 11,000 से अधिक छात्र नि:शुल्क टेक्नोलॉजी-शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं। छात्र अब फ्रंट-एंड डेवलपमेंट, रोबोटिक्स और ड्रोन एविएशन जैसे विषयों में व्यावहारिक ज्ञान अर्जित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्वयं इस नवाचार की शुरुआत करते हुए AI लैब्स का उद्घाटन किया था। सूरत म्युनिसिपल कमिश्नर श्रीमती शालिनी अग्रवाल ने बताया, "इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मध्यम और निम्नवर्गीय परिवारों के छात्र भी तकनीकी दुनिया में पीछे न रहें। उन्हें डिजिटल युग की आवश्यकतम स्किल्स उपलब्ध कराना समय की मांग है।" उन्होंने कहा, "हमारे छात्र सिर्फ नौकरी ढूंढने वाले नहीं, बल्कि जॉब देने वाले टेक-उद्यमी बनें, यही लक्ष्य है।"
चार वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत छात्र AI, 3D प्रिंटिंग, रोबोटिक्स, और AR/VR में निपुण हो रहे हैं। वे अब न केवल किताबों से, बल्कि प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग और प्रयोगात्मक अनुभव के जरिए ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं।
सुमन हाईस्कूल नंबर-6 के प्रधानाचार्य महेन्द्र कुमार के अनुसार, “बच्चे अब वर्चुअल रियलिटी में प्रयोग करते हैं, रोबोट बनाते हैं और तकनीकी शिक्षा के साथ आत्मविश्वास भी विकसित कर रहे हैं। यह पहल कमजोर वर्ग के लिए शिक्षा का टर्निंग पॉइंट बन गई है।”
छात्रों की प्रतिक्रियाएं
धनश्री कोली (कक्षा 10, सुमन स्कूल विजय नगर) ने बताया, “AI लैब्स में नि:शुल्क मिल रही तकनीकी शिक्षा हम जैसे विद्यार्थियों के लिए वरदान है। मैं UPSC की तैयारी कर देश सेवा करना चाहती हूं और AI ज्ञान से मुझे मदद मिलेगी।”
जयेश चौहान (कक्षा 10, मूल निवासी महाराष्ट्र, वर्तमान निवासी उधना) ने कहा, “हम AI लैब में दिमाग के साथ दिल से भी सीख रहे हैं। अब हमें पता चल चुका है कि करियर में AI और VR का क्या महत्व है और हम उसका कैसे उपयोग कर सकते हैं।” सूरत की यह पहल न केवल तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एक उदाहरण बन रही है, बल्कि यह शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को पाटने की दिशा में बड़ा कदम भी साबित हो रही है।